
बेंगलूरु। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 14 जुलाई को कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के सागर तालुक में शरावती नदी के बैकवाटर पर बने केबल-स्टेड पुल का लोकार्पण किया। यह पुल सागर तालुक के करुरु और बरंगी होबली गांवों के लोगों की एक पुरानी आकांक्षा की पूर्ति है। ग्रामीणों ने उत्सव के मूड में पुल को आम के पत्तों से सजाया। यह देश का दूसरा सबसे बड़ा केबल आधारित ब्रिज है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!गडकरी के साथ केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा, पूर्व मंत्री कागोडु थिम्मप्पा, शिवमोग्गा के सांसद बी.वाई. राघवेंद्र और अन्य निर्वाचित प्रतिनिधि मौजूद थे।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 473 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से इस पुल और पहुंच मार्गों का निर्माण किया गया है। स्थानीय निवासी बैकवाटर को पार करने के लिए एक पुल चाहते थे। 1960 के दशक में बिजली उत्पादन के लिए लिंगनमक्की बांध के निर्माण के बाद उनका सड़क संपर्क टूट गया था। तब से लोग एक पुल की मांग कर रहे थे।
शुरुआत में वे मूंगा पर निर्भर थे, लेकिन एक दुखद घटना में बैकवाटर में एक नाव पलटने से नवविवाहित जोड़ों सहित 21 लोगों की मौत हो गई। इस घटना के कारण अधिकारियों को निवासियों के लिए नौकाएं उपलब्ध कराने के लिए मजबूर होना पड़ा। तब से निवासी बंदरगाह और अंतर्देशीय जल परिवहन विभाग द्वारा संचालित नौकाओं पर निर्भर थे।
हाल के दशकों में सिगंडूर स्थित चौदेश्वरी मंदिर में आने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि के साथ पुल की मांग ज़ोर पकड़ने लगी। यह पुल श्रद्धालुओं के लिए एक वरदान साबित होगा, क्योंकि इससे यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा।

राष्ट्रीय राजमार्ग 369E पर अंबरगोडलु और कलासवल्ली के बीच शरावती बैकवाटर पर बना बहुप्रतीक्षित केबल-स्टेड पुल राज्य का सबसे लंबा और देश का दूसरा सबसे लंबा पुल है, जिसकी लंबाई 2.44 किलोमीटर है। 472 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित यह पुल सागर और होसानगरा तालुकों के कई गांवों के साथ-साथ सिगंडूर चौदेश्वरी और कोल्लूर मूकाम्बिके जैसे लोकप्रिय मंदिरों से संपर्क में सुधार करेगा।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने मार्च 2019 में इस परियोजना को मंजूरी दी थी और उसी वर्ष दिसंबर में निर्माण शुरू हुआ था। इसका निर्माण मध्य प्रदेश की दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड द्वारा किया गया था। यह पुल देश में MoRTH द्वारा अनुमोदित आठवां अतिरिक्त-डोज़ वाला केबल-स्टेड कम-बैलेंस्ड कैंटिलीवर पुल है।
स्थानीय प्रयासों का परिणाम है पुल निर्माण
पुल में 16 मीटर चौड़ा डेक है, जिसमें 11 मीटर का कैरिजवे और दोनों ओर 1.5 मीटर चौड़े पैदल मार्ग शामिल हैं। पहुंच मार्ग सागर की ओर 1 किमी और सिगंडूर की ओर 3 किमी तक फैले हुए हैं। पुल में 604 बॉक्स गर्डर खंड, 1.8 मीटर व्यास के 164 पाइल, चार खंभों पर 96 केबल और गोलाकार बियरिंग हैं। नए पुल से यात्रा के समय में उल्लेखनीय कमी आने और स्थानीय पर्यटन एवं आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
स्थानीय निवासियों, कार्यकर्ताओं, पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, सांसद बीवाई राघवेंद्र और पूर्व मंत्री कागोडु थिम्मप्पा के प्रयासों के बाद सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने पुल निर्माण का कार्य अपने हाथ में लिया। इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, “वह (लिंगराज) एक पदाधिकारी हैं, इस बात से हम इनकार नहीं कर सकते। लेकिन उन्हें ‘करीबी सहयोगी’ कहना भाजपा की आदत बन गई है…।”