
नई दिल्ली। डिजिटल स्वास्थ्य फर्म मेडीबडी और सीआईआई के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में होने वाली कुल मौतों में 63% गैर-संचारी रोगों (NCD) के कारण होती हैं, जिनमें हृदय रोग, मधुमेह और स्ट्रोक का कार्यबल पर प्रभाव पड़ता है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!अध्ययन में कहा गया है कि डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा—निर्देशों से कम है, ग्रामीण/अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 70% भारतीयों को निदान और नियमित देखभाल तक पहुँच में भारी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
इसमें यह भी बताया गया है कि केवल 41% भारतीय परिवारों के पास किसी न किसी प्रकार का स्वास्थ्य बीमा है, जिससे 50 करोड़ से अधिक लोग स्वास्थ्य संबंधी खर्चों के प्रति संवेदनशील हैं।
इसमें यह भी बताया गया है कि भारत में ओपीडी बीमा की पहुँच 0.1% से भी कम है, जो अमेरिका में 85 प्रतिशत और सिंगापुर में 95 प्रतिशत की तुलना में काफ़ी बड़ा अंतर है। इससे ज़्यादातर बाह्य रोगी खर्च कवर नहीं होते, जबकि ओपीडी में स्वास्थ्य सेवा पर होने वाले कुल खर्च का लगभग 70% हिस्सा होता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्यस्थल पर, उपस्थिति और पुरानी बीमारियों के कारण भारतीय कंपनियों को प्रति कर्मचारी सालाना 1.12 लाख रुपए तक का नुकसान होता है।
इसमें बताया गया है कि 70% से ज़्यादा कर्मचारियों में जीवनशैली से जुड़ा कम से कम एक जोखिम कारक होता है, फिर भी केवल 20% नियोक्ता ही नियमित स्वास्थ्य जाँच कराते हैं।