
भोपाल। मध्य प्रदेश में लगभग 35,000 प्राइवेट स्कूलों में से सिर्फ़ 10,200 स्कूलों ने ही स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल पर अपनी फीस की पूरी जानकारी अपलोड की है। यह मध्य प्रदेश प्राइवेट स्कूल एक्ट, 2017 के तहत ज़रूरी है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!विभाग के अनुसार, जो स्कूल हर साल प्रति क्लास 25,000 रुपये से ज़्यादा फीस लेते हैं, उन्हें ट्यूशन, ट्रांसपोर्ट, लैब, लाइब्रेरी और सिक्योरिटी डिपॉज़िट जैसे अलग-अलग मदों में क्लास और स्ट्रीम के हिसाब से फीस का ब्यौरा अपलोड करना होगा।
जो स्कूल हर साल 25,000 रुपए या उससे कम फीस लेते हैं, उन्हें फीस का पूरा डेटा अपलोड करने से छूट है, लेकिन उन्हें तय समयसीमा के अंदर पोर्टल पर एक हलफ़नामा जमा करना होगा।
जिला-स्तरीय फीस रेगुलेशन कमिटी, जिसकी अध्यक्षता कलेक्टर करते हैं, को नियमों का पालन न करने वाले स्कूलों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है।
विभाग ने फीस में मनमानी बढ़ोतरी और शिक्षा के व्यावसायीकरण को रोकने के लिए भी कदम उठाए हैं। नियमों के अनुसार, स्कूल बच्चों को किसी खास दुकान से यूनिफॉर्म, किताबें या दूसरी चीज़ें खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकते।
स्कूलों को स्टेशनरी, पढ़ने का सामान, बैग, यूनिफॉर्म, स्पोर्ट्स किट और ट्रांसपोर्ट जैसी सुविधाओं सहित फीस और खर्च की पूरी जानकारी स्कूल के नोटिस बोर्ड और अपनी वेबसाइट पर दिखानी होगी।
इसके अलावा स्कूलों को अगले शैक्षणिक सत्र के लिए क्लास और आइटम के हिसाब से प्रस्तावित फीस स्ट्रक्चर विभाग के फीस रेगुलेशन पोर्टल पर अपलोड करना होगा।
स्कूल फीस नियम
35,000 में से सिर्फ़ 10,200 स्कूलों ने अब तक फीस डेटा अपलोड किया
फीस स्ट्रक्चर अपलोड करने के लिए छूट की सीमा 25,000 रुपये/साल है
मॉनिटरिंग और कार्रवाई के लिए जिला पैनल की अध्यक्षता कलेक्टर करेंगे
स्कूलों में फीस, किताबें, यूनिफॉर्म और ट्रांसपोर्ट की जानकारी दिखाना अनिवार्य