
—सीडीएस के बयान के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर बोला हमला
नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान द्वारा भारत के लड़ाकू विमानों के नुकसान की बात स्वीकार करने के बाद कांग्रेस ने शनिवार को सरकार पर ‘देश को गुमराह करने’ का आरोप लगाया। मुख्य विपक्षी पार्टी ने चार दिवसीय संघर्ष के दौरान हुए नुकसान और संघर्ष विराम कराने में अमेरिका की भूमिका को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग दोहराई है।
कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सिंगापुर में एक टीवी साक्षात्कार के दौरान सीडीएस द्वारा की गई टिप्पणियों के बाद एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा भारत की रक्षा तैयारियों की व्यापक समीक्षा की मांग की। खड़गे ने कहा, सिंगापुर में एक साक्षात्कार में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) द्वारा की गई टिप्पणियों के मद्देनजर कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न हैं, जिन्हें पूछे जाने की आवश्यकता है। ये तभी पूछे जा सकते हैं जब संसद का एक विशेष सत्र तुरंत बुलाया जाए। मोदी सरकार ने देश को गुमराह किया है। युद्ध का कोहरा अब छंट रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी दोहराया कि पार्टी भारतीय सशस्त्र बलों का समर्थन करती है।
सीडीएस की टिप्पणी पर कांग्रेस नेता उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि देश जानना चाहता है कि संघर्ष के दौरान कोई विमान गिराया गया था या नहीं। कांग्रेस नेता ने कहा, “सरकार को पारदर्शी होना चाहिए। लोकतंत्र में जवाबदेही सामान्य बात है। यह देशभक्ति के बारे में नहीं है। हम ज़्यादा देशभक्त हैं। हमारे पहले परिवार, गांधी परिवार ने खुद देश की अखंडता के लिए बहुत कुछ सहा और बहुत बड़ा बलिदान दिया और ये लोग हमसे सवाल कर रहे हैं। यह वाकई चौंकाने वाला और विचित्र है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौते के बारे में बार-बार किए गए दावों का जिक्र करते हुए खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्पष्टीकरण की मांग की और कहा कि अमेरिका की भागीदारी ‘शिमला समझौते का सीधा अपमान’ है।
कांग्रेस नेता ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, प्रधानमंत्री मोदी चुनावी तूफान में हैं, हमारे सशस्त्र बलों की वीरता का व्यक्तिगत श्रेय ले रहे हैं, उनकी बहादुरी के पीछे छिप रहे हैं और सहमत युद्ध विराम की रूपरेखा को चकमा दे रहे हैं, जिसकी घोषणा विदेश सचिव ने 10 (मई) को श्री ट्रम्प के ट्वीट के बाद की थी। …क्या भारत और पाकिस्तान अब फिर से एक हो गए हैं? युद्ध विराम समझौते की शर्तें क्या हैं? उन्होंने 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा गठित कारगिल समीक्षा समिति की तर्ज पर एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा भारत की रक्षा तैयारियों की व्यापक समीक्षा की मांग की।
समीक्षा समिति के गठन पर जोर देते हुए कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने कहा कि समिति का गठन कारगिल युद्ध समाप्त होने के तीन दिन बाद किया गया था और इसने पांच महीने बाद अपनी विस्तृत रिपोर्ट पेश की थी। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “29 जुलाई, 1999 को वाजपेयी सरकार ने भारत के सामरिक मामलों के गुरु के सुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता में कारगिल समीक्षा समिति का गठन किया था, जिनके बेटे अब हमारे विदेश मंत्री हैं…। ‘आश्चर्य से निर्णय तक’ शीर्षक वाली रिपोर्ट को आवश्यक संशोधनों के बाद 23 फरवरी, 2000 को संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखा गया था। क्या मोदी सरकार अब सिंगापुर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ द्वारा किए गए खुलासे के आलोक में ऐसा ही कदम उठाएगी?”