
नई दिल्ली। एक नए सर्वेक्षण से पता चला है कि ज्यादातर जोड़े अपने तलाक के लिए वित्तीय विवादों या वित्तीय असमानताओं को ज़िम्मेदार ठहराते हैं। एक वित्तीय सलाहकार कंपनी की पत्रिका, फर्स्ट फ़ाइनेंस मैगज़ीन ने टियर-1 और टियर-2 शहरों में 1,258 तलाकशुदा या तलाक के लिए अर्ज़ी देने वालों से पूछताछ की।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!46% महिलाओं ने शादी के बाद अपनी नौकरी कम कर दी या पूरी तरह से छोड़ दी।
42% पुरुषों ने गुजारा भत्ता या कानूनी खर्चों के लिए ऋण लिया।
तलाक के बाद उनकी कुल संपत्ति का 29% हिस्सा ऋणात्मक हो गया।
पुरुषों की वार्षिक आय का 38% भरण-पोषण पर खर्च होता है।
19% महिलाओं ने 5 लाख से ज़्यादा खर्च किए।
49% पुरुषों ने 5 लाख से ज़्यादा खर्च किए।
53% महिलाओं को अपने पति की कुल संपत्ति का आधा या उससे ज़्यादा हिस्सा गुजारा भत्ता के रूप में मिला।
26% मामलों में यह राशि उनके पति की कुल संपत्ति से भी ज़्यादा थी।
वित्तीय मतभेद सबसे बड़ा कारण
सर्वेक्षण के अनुसार, वित्तीय असंगति अक्सर विवाह टूटने का कारण होती है। दोनों लिंगों के 67% लोगों ने कहा कि वे अक्सर पैसों को लेकर बहस करते हैं। 43% ने सीधे तौर पर कहा कि वित्तीय विवाद या असमानताएँ तलाक का कारण थीं। शादी के समय, 56% महिलाओं की कमाई अपने पति से कम थी, जबकि केवल 2% की कमाई ज़्यादा थी।
तलाक का प्रमुख कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि वित्तीय असंगति तलाक के प्रमुख कारणों में से एक है। तलाक का खर्च स्थिति को और जटिल बना देता है।
सबक
शादी से पहले वित्तीय मामलों पर स्पष्ट चर्चा करें।
पिछले कर्ज़ों और भविष्य की बचत की ज़िम्मेदारियों का निर्धारण करें।
दोनों माता-पिता की देखभाल के लिए एक योजना बनाएँ।
आय में उतार-चढ़ाव और जीवनशैली पर सहमत हों।
दीर्घकालिक निवेश और वित्तीय योजनाओं पर चर्चा करें।
विवाह से पहले वित्तीय अपेक्षाओं को समझने से महंगे संघर्ष और तनाव को कम किया जा सकता है।
यह तलाक की स्थिति में वित्तीय स्थिरता बनाए रख सकता है।