
भोपाल। सुप्रीम कोर्ट (SC) ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को वन और जेल विभागों द्वारा आयोजित भर्तियों में 87% पदों पर चयनित उम्मीदवारों की याचिकाओं पर सुनवाई करने का निर्देश दिया है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि महाधिवक्ता (AG) कार्यालय ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं का चयन 13% पदों पर हुआ था, जिन पर रोक लगा दी गई थी। इस साल 20 जून के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की गई थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कहा कि वन विभाग और सहायक जेल अधीक्षक आदि के पदों के लिए सीधी भर्ती परीक्षा में अनियमितताओं के कारण 2022-23 में उम्मीदवारों के परिणाम रोक दिए गए थे। उन्होंने बताया कि इनमें से पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के 24 से अधिक उम्मीदवारों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की खंडपीठ में याचिका दायर की थी।
अटॉर्नी जनरल कार्यालय ने उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि याचिकाकर्ताओं का चयन 13% पदों पर हुआ था, जिन पर रोक लगा दी गई थी, जबकि याचिकाकर्ताओं का चयन 87% पदों पर हुआ था, लेकिन कर्मचारी चयन बोर्ड (ईएसबी), भोपाल ने उनके परिणाम रोक दिए थे।
अटॉर्नी अटॉर्नी कार्यालय के बयान को सही मानते हुए न्यायालय ने याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इसके बाद, सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की गई। ठाकुर ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अब आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय के समक्ष एक आवेदन दायर करके मामले के तथ्यों से अवगत कराएं। उच्च न्यायालय को याचिका में उठाए गए मुद्दों को गुण-दोष के आधार पर सुनना और उनका समाधान करना चाहिए।