
मॉस्को। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपने मजबूत समर्थन को दोहराया है और भारत-रूस संबंधों की रणनीतिक गहराई पर जोर दिया है, जबकि अमेरिका मॉस्को के साथ अपने ऊर्जा संबंधों को लेकर नई दिल्ली पर दबाव बढ़ा रहा है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए हैं, जिनमें से आधे रूस के साथ तेल व्यापार करने पर लगाए गए हैं। यह कदम यूक्रेन के साथ क्रेमलिन के चल रहे सैन्य संघर्ष को रोकने के लिए भारत और रूस दोनों पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में उठाया गया है।
मोदी को “अपने देश के बारे में सबसे पहले सोचने वाला एक बुद्धिमान नेता” बताते हुए पुतिन ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत पश्चिमी दबाव के आगे नहीं झुकेगा। उन्होंने कहा कि भारत को किसी भी तरह से नुकसान होगा, रूसी तेल का त्याग करने से उसे सालाना 9-10 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है, जबकि प्रतिबंधों की अवहेलना करने पर भी इसी तरह के वित्तीय नुकसान हो सकते हैं।
दक्षिण रूस में अंतर्राष्ट्रीय वल्दाई चर्चा मंच पर पुतिन ने कहा, “तो अगर इसकी घरेलू राजनीतिक कीमत भी चुकानी पड़े तो इनकार क्यों करें? [भारतीय लोग] खुद को कभी किसी के हाथों अपमानित नहीं होने देंगे। मैं प्रधानमंत्री [नरेंद्र] मोदी को जानता हूँ, वह भी ऐसा कोई फैसला नहीं लेंगे।” उन्होंने आगे कहा, “दंडात्मक अमेरिकी शुल्कों के कारण भारत को होने वाले नुकसान की भरपाई रूस से कच्चे तेल के आयात से हो जाएगी, साथ ही एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में उसकी प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी।”
रूसी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि नई दिल्ली द्वारा कच्चे तेल के उच्च आयात को लेकर दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन को कम करने के उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम भारतीय कृषि उत्पादों और दवाओं के आयात को बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।”
उन्होंने भारत-रूस साझेदारी का सोवियत काल से ही उल्लेख करते हुए इसे “विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी” बताया। पुतिन ने ज़ोर देकर कहा कि आपसी सम्मान और ऐतिहासिक संबंध द्विपक्षीय सहयोग की नींव बने हुए हैं। उन्होंने कहा, “भारत में, वे इसे याद रखते हैं और हम इसे बहुत महत्व देते हैं।”