
नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची संशोधन को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने गुरुवार को पूछा कि क्या चुनाव निकाय किसी प्रभाव में आकर मृत, स्थायी रूप से प्रवास कर चुके या कई जगहों पर मतदाता के रूप में पंजीकृत लोगों को मतदाता सूची में शामिल करने की अनुमति दे सकता है। उनकी यह टिप्पणी विपक्षी दलों द्वारा बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर चुनाव प्राधिकरण पर निशाना साधने के बढ़ते हमलों के बीच आई है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!विपक्ष का दावा है कि इस कदम से करोड़ों पात्र नागरिक मताधिकार से वंचित हो जाएँगे। चुनाव आयोग के अनुसार, उन्होंने कहा, “क्या चुनाव आयोग द्वारा पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से तैयार की जा रही एक शुद्ध मतदाता सूची निष्पक्ष चुनाव और एक मजबूत लोकतंत्र की नींव नहीं है?
उन्होंने कहा कि पहले बिहार में और बाद में पूरे देश में अयोग्य लोगों को वोट देने की अनुमति देना संविधान के विरुद्ध है। उन्होंने रेखांकित किया, इन सवालों पर किसी न किसी दिन हम सभी और भारत के सभी नागरिकों को राजनीतिक विचारधाराओं से परे जाकर गहराई से सोचना होगा।
बिहार में मतदाता सूची की चल रही एसआईआर के तहत घर-घर जाकर चुनाव अधिकारियों ने अब तक पाया है कि 52 लाख से ज़्यादा मतदाता अपने पते पर मौजूद नहीं थे और 18 लाख मतदाता मर चुके हैं।