
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के जंबूरी मैदान में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुए महासम्मेलन में ऑपरेशन सिंदूर, महिला सशक्तिकरण और अहिल्याबाई की 300वीं जयंती जैसे विषय छाए रहे। महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन के आयोजन स्थल पर मोदी की सैन्य पोशाक में तस्वीरें लगे पोस्टर और बैनर लगे हुए थे। अधिकांश दर्शक तिरंगे लहरा रहे थे, सेना की प्रशंसा में देशभक्ति के गीत गा रहे थे और ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे गूंज रहे थे। जब मोदी ने अपने भाषण के दौरान ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया, तो भीड़ ने ‘मोदी, मोदी’ के नारे लगाते हुए तालियां बजाईं।
ज्यादातर बैनर और तख्तियां ऑपरेशन सिन्दूर पर केंद्रित थीं, उनमें से कुछ “सेना के सम्मान में, नारी शक्ति मैदान में”, “सौगंध है सिन्दूर की ये देश नहीं झुकने दूंगा” और “धन्यवाद मोदीजी (ऑपरेशन सिन्दूर के लिए)।” यहां मौजूद लोगों ने भारतीय सशस्त्र बलों को धन्यवाद दिया और घोषणा की कि लोग उनके साथ हैं।
300 फीट गुणा 190 फीट माप वाले चार विशाल गुंबदनुमा पंडाल में दर्शक बैठे थे। भीड़ अधिक होने के कारण गर्मी ने भी लोगों को परेशान किया, जिसके कारण दर्शकों को अपने साथ लाए गए पोस्टर, रूमाल और जो कुछ भी हाथ में आया, उससे हवा करनी पड़ी।
भोपाल के पंचशील छात्रावास की युवा लड़कियां आदिवासी नृत्य प्रस्तुत करने वाले समूह का हिस्सा थीं, जो मोदी के भाषण शुरू करने तक इतनी थक चुकी थीं कि वे जाग नहीं पाईं। अहिल्या बाई और प्रधानमंत्री के अलावा केवल मुख्यमंत्री मोहन यादव, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ही कार्यक्रम स्थल और चेतक ब्रिज से जंबूरी मैदान तक जाने वाली सड़क पर लगे बैनर, पोस्टर और तख्तियों पर जगह पा सके।
जब मोदी मुख्यमंत्री यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ खुली जीप में सवार होकर गुजरे, तो लोगों ने मोदी के अस्थायी रथ द्वारा इस्तेमाल किए गए लाल कालीन वाले मार्ग से अलग किए गए ऊंचे बैरिकेड्स के पीछे से उत्साहपूर्वक तिरंगा लहराया।
गुंबदों के प्रवेश द्वारों पर राज्य सरकार की महिला सशक्तीकरण के लिए विभिन्न योजनाओं के नाम लिखे हुए थे, जिनमें मेधावी छात्राओं को स्कूटी और लाड़ली लक्ष्मी उपहार में देना शामिल है। सुरक्षा कड़ी थी और पानी की बोतलें भी अंदर नहीं ले जाने दी गईं। और जैसे ही मोदी पहुंचे, मोबाइल नेटवर्क जाम हो गए।
समीप के गांव से आई एक मजदूर महिला ने कहा कि उन्हें समारोह में शामिल होने के लिए अपनी 300 रुपए की दैनिक मजदूरी खोने से कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा, मोदी जी को देखने आए हैं, मजदूरी छूट गई मगर कोई बात नहीं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्राएं भी सुबह 4 बजे उठकर 7 बजे तक कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गई थी। लोगों में ऐसा उत्साह था कि देखते बन रहा था। दादी के साथ आई एक 4 साल की दर्शक ने कहा, मैंने सुबह से सिर्फ एक कप चाय पी, लेकिन मुझे बिल्कुल भी भूख नहीं लग रही है।