
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्हें दी गई टोपी पहनने से इनकार कर दिया। यह घटना तब हुई जब नीतीश कुमार को आमतौर पर मुसलमानों द्वारा पहनी जाने वाली टोपी भेंट की गई। इस घटना का एक वीडियो सामने आया है और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!वीडियो में दिखाया गया है कि जब बोर्ड के एक सदस्य ने उनके सिर पर टोपी पहनाने की कोशिश की, तो उन्होंने उसे रोक दिया और टोपी अपने हाथ में ले ली। बाद में बिहार के अल्पसंख्यक मंत्री ज़मा खान कुमार के पास आए और उन्हें टोपी पहनाने की कोशिश की। जवाब में कुमार ने खान का हाथ पकड़कर उन्हें टोपी पहना दी। कुमार का यह कदम राज्य में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले आया है। बिहार की आबादी में मुसलमानों की संख्या लगभग 18% है।
मदरसा शिक्षकों का विरोध प्रदर्शन
कार्यक्रम के दौरान मदरसा शिक्षकों का एक समूह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने विरोध प्रदर्शन करते हुए भी देखा गया। उन्होंने मुख्यमंत्री को कुछ कागज़ात भी सौंपे। नीतीश कुमार के इस कदम का बचाव करते हुए उनकी पार्टी के विधान पार्षद खालिद अनवर ने कहा कि सीएम कुमार ने अपने मंत्री जमा खान के सिर पर अपना “ताज” रखकर अल्पसंख्यक समुदाय का सम्मान बढ़ाया है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कुमार ने हमेशा बिहार के मुसलमानों के अधिकारों के लिए काम किया है और एक धर्मनिरपेक्ष विचारधारा का पालन करते हैं।
2013 में नीतीश कुमार की टोपी और तिलक वाली टिप्पणी
2013 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना नीतीश कुमार ने उनकी आलोचना करते हुए कहा था कि देश चलाने के लिए “टोपी” और “तिलक” दोनों पहनना ज़रूरी है। हालांकि उन्होंने नाम का ज़िक्र नहीं किया, लेकिन यह व्यापक रूप से समझा गया कि उनका इशारा मोदी की ओर था, जिन्होंने एक मुस्लिम धर्मगुरु द्वारा दी गई टोपी पहनने से इनकार कर दिया था।
उस समय कुमार ने 2014 के चुनाव के लिए मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करने के भाजपा के फैसले का कड़ा विरोध किया था, इस हद तक कि उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया था।