
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने गुरुवार को 22 आबकारी अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। राज्य के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने 7 जुलाई को एक विशेष अदालत में कथित शराब घोटाले में उनके खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था। ईओडब्ल्यू ने 29 आबकारी अधिकारियों को आरोपी बनाया है, जिनमें से सात सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!बताया जा रहा है कि निलंबित अधिकारियों ने 2019 से 2023 के दौरान जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी, 88 करोड़ रुपए से अधिक का कमीशन हासिल किया था।
आरोप-पत्र में कहा गया है कि पिछली गणना के आधार पर यह शराब घोटाला लगभग 2,161 करोड़ रुपए का माना जा रहा था, जिसमें सभी प्रकार के कमीशन और दुकानों में बिना शुल्क चुकाए अतिरिक्त देशी शराब की बिक्री शामिल है। हालांकि, नई जांच से पता चला है कि कथित घोटाला 3,200 करोड़ रुपए से अधिक का था।
ईओडब्ल्यू ने बताया कि घोटाले में शामिल अधिकारियों में जिला और सहायक जिला आबकारी अधिकारी, सहायक आयुक्त और आबकारी उपायुक्त शामिल हैं, जो 2019 से 2023 के बीच उन 15 जिलों में तैनात थे जहाँ सरकारी शराब की दुकानों में बेहिसाब शराब बेची गई थी।
राज्य एजेंसी ने अपनी जांच में पाया कि शराब की अतिरिक्त खेप भट्टियों में बनाई गई थी। ट्रकों में लादकर ‘आबकारी सिंडिकेट’ के निर्देशों के अनुसार वैध शराब के साथ ‘शुल्क-मुक्त’ शराब भी सीधे इन सरकारी देशी शराब की दुकानों में भेजी गई थी। इस “घोटाले” को अंजाम देने के लिए राज्य के जिलों को 8 क्षेत्रों में विभाजित किया गया था और लक्षित 15 जिलों को भट्टियों से शराब की आपूर्ति की गई थी।
ईओडब्ल्यू ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया में सेल्समैन, सुपरवाइजर, निचले स्तर के आबकारी अधिकारी, दुकान प्रभारी अधिकारी और जिला प्रभारी आबकारी अधिकारी शामिल थे। इस तरह की शराब को ‘बी-पार्ट शराब’ कहा जाता था, जिसके लिए अलग से एकत्र की गई बिक्री राशि जिला प्रभारी आबकारी अधिकारी के माध्यम से सिंडिकेट को सौंप दी जाती थी। राज्य की एजेंसी ने अब तक इस घोटाले में पांच आरोप—पत्र दायर किए हैं और 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। प्रवर्तन निदेशालय कथित शराब घोटाले में मनी लॉड्रिंग की जांच कर रहा है।