
भोपाल। मध्यप्रदेश में नई प्रमोशन पॉलिसी को लेकर सामान्य वर्ग के कर्मचारी दो गुटों में बंट गए हैं। सरकार ने एससी वर्ग के कर्मचारियों के लिए 16% और एसटी वर्ग के लिए 20% कोटा निर्धारित किया है। प्रमोशन पॉलिसी में दिए गए आरक्षण को लेकर सामान्य वर्ग के कर्मचारियों में नाराजगी पनप रही है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!फिर भी प्रमोशन चाहने वाले कर्मचारी प्रमोशन में रिजर्वेशन के खिलाफ खड़े होने वालों के साथ नहीं हैं। 17 जून को प्रमोशन पॉलिसी लागू होने के बाद गुरुवार को मुख्य सचिव अनुराग जैन ने बैठक बुलाई है।
बैठक में डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी (डीपीएस) के गठन और कर्मचारियों को जल्द से जल्द प्रमोशन देने पर चर्चा होगी। बैठक के बाद जुलाई में कर्मचारियों को प्रमोट करने के प्रयास शुरू किए जाएंगे। दूसरी ओर, कर्मचारी संगठन मंत्रालय के बाहर धरना देने की तैयारी कर रहे हैं। आंदोलन में सामान्य वर्ग के अधिकांश कर्मचारी शामिल होंगे, लेकिन कर्मचारी संगठनों के कुछ नेताओं ने आंदोलन से दूरी बनाए रखी है।
सरकार ने नौ साल बाद पदोन्नति का रास्ता खोला है। अगर कर्मचारी इस नीति के खिलाफ आंदोलन करेंगे, तो लंबे समय से जिस प्रमोशन का इंतजार कर्मचारी कर रहे थे, वह फिर रुक जाएगा। मंत्रालय अधिकारी एवं कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक के अनुसार प्रमोशन पॉलिसी से सामान्य वर्ग के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों को भी नुकसान हुआ है।
नायक के अनुसार कर्मचारी सिर्फ धरना दे रहे हैं, लेकिन आने वाले दिनों में वे आंदोलन तेज करेंगे। इसके विपरीत कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने कहा कि वे आंदोलन में हिस्सा नहीं लेंगे। उनका मानना है कि प्रमोशन शुरू होने चाहिए। उनके अनुसार हजारों कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही सेवानिवृत्त हो गए हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए।