
नई दिल्ली। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि भारत अपने लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने को “सर्वोच्च प्राथमिकता” देता है और व्यापक वैश्विक ऊर्जा बाज़ार के बारे में “स्पष्ट” दृष्टिकोण रखना ज़रूरी है। यह बात यूरोपीय संघ द्वारा रूसी ऊर्जा क्षेत्र को लक्षित करने वाले नए दंडात्मक उपायों की घोषणा के कुछ दिनों बाद कही गई है, जिसमें गुजरात में वाडिनार रिफ़ाइनरी पर प्रतिबंध भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ऊर्जा संबंधी मुद्दों पर “दोहरे मानदंड” न अपनाना ज़रूरी है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!मिसरी ने यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन और मालदीव की चार दिवसीय यात्रा पर आयोजित एक मीडिया ब्रीफिंग में एक सवाल के जवाब में की। उन्होंने कहा, “जहां तक ऊर्जा सुरक्षा का सवाल है, हम इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट रहे हैं। भारत के लोगों को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करना भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
मिसरी से पूछा गया कि क्या रूसी ऊर्जा क्षेत्र पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंधों के मद्देनजर ऊर्जा सुरक्षा से जुड़े मुद्दे प्रधानमंत्री मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष कीर स्टारमर की बातचीत में शामिल होंगे।
यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर मास्को पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए बढ़ते प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने पिछले कुछ वर्षों में रूस से अपनी ऊर्जा खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
मिसरी ने कहा, ऊर्जा सुरक्षा के संबंध में हमें जो करना होगा, हम करेंगे। ऊर्जा से जुड़े मुद्दों पर जैसा कि हमने पहले कहा है, दोहरे मापदंड न अपनाना और व्यापक ऊर्जा बाजार के संदर्भ में वैश्विक स्थिति के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण रखना महत्वपूर्ण है।
पिछले हफ़्ते 27 देशों के यूरोपीय संघ द्वारा घोषित प्रतिबंधों के 18वें पैकेज में रूस के तेल और ऊर्जा क्षेत्र के राजस्व को कम करने के उद्देश्य से कई उपाय शामिल थे, जैसे रूसी कच्चे तेल से बने और किसी तीसरे देश से आने वाले परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध की बात कही गई थी।
इन उपायों में तेल की कीमत सीमा को 60 डॉलर प्रति बैरल से घटाकर लगभग 48 डॉलर प्रति बैरल करना और वाडिनार रिफ़ाइनरी को भी शामिल किया गया था, जिसमें रूसी ऊर्जा कंपनी रोसनेफ्ट की बड़ी हिस्सेदारी है।
यूरोपीय संघ द्वारा नए उपायों की घोषणा के कुछ घंटों बाद भारत ने कहा कि “कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए खासकर जब ऊर्जा व्यापार की बात हो। विदेश सचिव ने कहा कि यह स्पष्ट होना ज़रूरी है कि ऊर्जा वस्तुओं के प्रदाता कहां स्थित हैं और वे कहां से आएंगे और किस समय किसे ऊर्जा की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि इन मामलों को पर्याप्त रूप से नहीं समझा गया है।
मिसरी ने कहा कि भारत समझता है कि यूरोप एक बड़े सुरक्षा मुद्दे का सामना कर रहा है और बाकी दुनिया भी “अस्तित्वगत” मुद्दों से जूझ रही है। उन्होंने कहा, “हम समझते हैं कि यूरोप एक महत्वपूर्ण और गंभीर सुरक्षा समस्या का सामना कर रहा है, लेकिन बाकी दुनिया भी इससे जूझ रही है और उन मुद्दों से जूझ रही है जो बाकी दुनिया के लिए अस्तित्वगत हैं। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि इन मुद्दों पर बात करते समय संतुलन और दृष्टिकोण बनाए रखना ज़रूरी है।