
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की किसी भी तरह की संलिप्तता की अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश की।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चल रही 16 घंटे की बहस के दौरान संसद को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई।”
पहलगाम आतंकी हमला 22 अप्रैल को हुआ था और जिसके बाद इस्लामाबाद ने सैन्य और नागरिक ठिकानों पर मिसाइल हमले करके जवाबी कार्रवाई की। भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों पर सटीक हमले करने के लगभग 100 घंटे बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा 17 जून को हुई थी।
जयशंकर ने कहा कि मई में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के दौरान अमेरिका ने भारत को आसन्न पाकिस्तानी हमले की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने 9 मई, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया और उन्हें कुछ ही घंटों में होने वाले “बड़े पाकिस्तानी हमले” के बारे में आगाह किया। जयशंकर ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने जवाब दिया कि अगर ऐसा कोई हमला हुआ, तो उसका माकूल जवाब दिया जाएगा। हमारे सशस्त्र बलों ने उस हमले को नाकाम कर दिया।”
अगले दिन 10 मई को भारत को विभिन्न देशों से फोन आए, जिसमें संकेत दिया गया कि पाकिस्तान शत्रुता समाप्त करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, “हमारी स्थिति स्पष्ट थी। अगर पाकिस्तान गंभीर था, तो अनुरोध डीजीएमओ के ज़रिए आना चाहिए था। और ऐसा ही हुआ।”
जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि इस दौरान अमेरिका के साथ हुई किसी भी बातचीत का “व्यापार से कोई संबंध नहीं” था। “दूसरी बात 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को संवेदना व्यक्त करने के लिए फ़ोन किया था और 17 जून को कनाडा में प्रधानमंत्री मोदी से दोबारा बात करने तक उनके और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप करते हुए विपक्ष से पूछा कि वे भारत के विदेश मंत्री की बजाय एक विदेशी नेता के दावों पर ज़्यादा भरोसा क्यों करते हैं।