
भोपाल। विधानसभा में मंगलवार को चार महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए गए। इनमें मध्य प्रदेश जन विश्वास विधेयक (प्रावधानों में संशोधन) 2025, मध्य प्रदेश वाहन कराधान (संशोधन) विधेयक 2025, मध्य प्रदेश मध्यस्थता प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, और विधिक सहायता एवं विधिक सलाह (निरसन) विधेयक।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!जन विश्वास विधेयक (प्रावधानों में संशोधन) 12 विभागों के 20 विभिन्न अधिनियमों के 44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव करता है। यह जीवन और व्यवसाय सुगमता के अंतर्गत आस्था-आधारित शासन को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।
इसका उद्देश्य अप्रासंगिक प्रावधानों में संशोधन करना, जुर्माने के स्थान पर दंड का प्रावधान करके मामूली अपराधों को अपराधमुक्त करना, कुछ प्रावधानों में जेल के स्थान पर दंड की व्यवस्था करना और कुछ प्रावधानों को समाप्त करना है।
इसमें मध्य प्रदेश मत्स्य अधिनियम 1948, मध्य प्रदेश कृषि गोदाम अधिनियम 1947, नगर निगम अधिनियम 1956, नगर पालिका अधिनियम 1961, कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972, होम्योपैथी परिषद अधिनियम 1976, वाहन कराधान अधिनियम 1971, पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1976, जन शिक्षा अधिनियम 2002, ग्रामीण संरचना एवं सड़क विकास अधिनियम 2005 और मध्य प्रदेश शरीर रचना विज्ञान अधिनियम 1954 जैसे अधिनियमों में संशोधन का प्रस्ताव है।
इसमें मध्य प्रदेश कपास (सांख्यिकी) अधिनियम 1947, मध्य प्रदेश कपास नियंत्रण अधिनियम 1954, मध्य प्रदेश कृषि उपज तौल नियमन अधिनियम 1956 और मध्य प्रदेश चेचक अधिनियम 1968 को निरस्त करने का भी प्रस्ताव है।
इस बीच मध्य प्रदेश वाहन कराधान संशोधन विधेयक का उद्देश्य मध्य प्रदेश वाहन कराधान अधिनियम 1991 की धारा 13 में संशोधन करना है। इसमें वाहन मालिक पर जुर्माना लगाने की बात कही गई है, यदि कोई भी वाहन सार्वजनिक सेवा वाहन, निजी वाहन, शैक्षणिक संस्थान बस, या स्कूल बस बिना परमिट के या परमिट प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है। संशोधन में चालक को छोड़कर प्रति सीट 1,000 रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
यदि कोई मालवाहक वाहन बिना परमिट के या परमिट शर्तों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है, तो उसके मालिक को उसके शुद्ध भार या भाग के प्रति टन 1,000 रुपए का जुर्माना देना होगा।