
भोपाल। मध्य प्रदेश में वित्त विभाग ने सरकार के बढ़ते खर्चों पर लगाम लगाने और राज्य की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए सख्त अनुशासन लागू किया है। नए निर्देश में वित्त विभाग ने अन्य विभागों को सलाह दी है कि यदि निविदा के अनुसार सरकार द्वारा स्वीकृत राशि से कम राशि खरीद और निर्माण पर खर्च की गई है, तो उस राशि का उपयोग अतिरिक्त कार्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!निविदा के अनुसार स्वीकृत राशि के अनुसार ही कार्य किया जाना चाहिए। शेष राशि वित्त विभाग को वापस कर दी जानी चाहिए। वित्त विभाग ने यह भी कहा कि लंबे समय तक चलने वाले कार्यों के लिए राशि एकमुश्त खजाने से नहीं निकाली जानी चाहिए।
सरकारी निर्माण एजेंसियों को एकमुश्त पूरी राशि नहीं दी जानी चाहिए। शुरुआत में सरकारी एजेंसियों के माध्यम से किए जा रहे कार्यों के लिए पहली किस्त के रूप में 66% राशि दी जानी चाहिए। 66% राशि में से 75% राशि खर्च हो जाने के बाद शेष 34% धनराशि प्रदान की जानी चाहिए।
वित्त विभाग ने कहा कि विभागों और सरकारी एजेंसियों के पास बची हुई धनराशि सितंबर तक ब्याज सहित राजकोष में जमा कर दी जानी चाहिए। वित्त समिति पूंजीगत व्यय को मंजूरी दे। इसके बाद प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जाए और निविदा आमंत्रित की जाए। वित्त विभाग ने कहा है कि इस प्रक्रिया का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।
वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव मनीष रस्तोगी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि इन निर्देशों का किसी भी तरह का उल्लंघन गंभीर वित्तीय अनियमितता माना जाएगा। इससे पहले वित्त विभाग ने अन्य कार्यालयों को पत्र लिखकर कहा था कि बैंकों से अर्जित ब्याज उन्हें वापस कर दिया जाए।