
भोपाल। भाजपा विधायक अभिलाष पांडे ने विधानसभा में संस्कृत भाषा के संरक्षण पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाते हुए संस्कृत में ही प्रस्ताव पढ़कर सबको चौंका दिया। इस दौरान विधानसभा सदस्यों को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने भी संस्कृत में जवाब दिया, जिस पर साथी विधायकों ने तालियां बजाईं।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!विधानसभा में बोलते हुए पांडे ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के त्रिभाषा सूत्र के तहत कक्षा 9, 10, 11 और 12 में हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं को महत्व दिया जा रहा है, लेकिन संस्कृत को नहीं। विधायक ने कहा, हिंदी और अंग्रेजी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है और इसलिए इन्हें जीवंत भाषाएं माना जाता है। हालांकि, संस्कृत दैनिक उपयोग का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा, यदि संस्कृत को पुनर्जीवित करना है, तो इसे बोलचाल के रूप में बोला जाना चाहिए।
मंत्री ने सदन को बताया कि सरकार कुछ जिलों में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है, जिसमें एक ही परिसर में संस्कृत, वैदिक और योग की शिक्षा देने वाले संस्थान स्थापित किए जाएंगे। योजना अभी प्रारंभिक चरण में है और वित्त विभाग से अनुमति मिलने पर, हर जिले में ऐसे संस्थान बनाने के लिए कदम उठाए जाएँगे, मंत्री ने कहा। उन्होंने आगे कहा कि यह संस्कृत भाषा के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।
मंत्री उदयप्रताप सिंह ने बताया कि सरकार त्रिभाषा सूत्र लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति दी जा रही है। 2014 में राज्य में केवल 34 संस्कृत विद्यालय थे, जिनकी संख्या आज बढ़कर 271 हो गई है।