
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के ओबीसी आरक्षण को अलग-अलग करने का विरोध किया। सरकार ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ को 58 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने में राहत दी है और उम्मीद है कि मध्य प्रदेश के लिए भी यही राहत मिलेगी ताकि भर्तियों का रास्ता साफ हो सके।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!याचिकाकर्ताओं ने कहा कि दोनों राज्यों के मामले अलग-अलग हैं। छत्तीसगढ़ में 58 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण है, जबकि मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण (पहले 14 प्रतिशत) के लिए एक अधिनियम 2019 में पारित किया गया था, जबकि सरकारी नौकरियों में 13 प्रतिशत पदों पर नियुक्ति अभी भी लंबित है।
छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने 2012 में 58 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के लिए अधिसूचना जारी की थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि मध्य प्रदेश सरकार 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के तहत भर्ती प्रक्रिया जारी रखना चाहती है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में लागू आरक्षण मॉडल का हवाला देते हुए इसे मध्य प्रदेश में भी लागू करने की वकालत की।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कहा, “चयनित ओबीसी अभ्यर्थियों के परिणाम कई वर्षों से रोके हुए हैं। इसके कारण मध्य प्रदेश में कोई भी सरकारी भर्ती पूरी नहीं हो पा रही है, जिससे सरकारी कामकाज में बाधा आ रही है। अदालत ने सरकार को हलफनामे के माध्यम से स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।”