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60 लाख से ज्यादा पद खाली, फिर भी आ​रक्षित वर्ग में बदहाली

—जनार्दन पटेल, मुंबई 

यह जानकार आपको आश्चर्य होगा कि देश के सरकारी विभागों में करीब 60 लाख से ज्यादा पद खाली हैं। यह आंकड़ा सरकार का ही है और भयावह भी है। जिस तेजी से देश में पढ़ाई-लिखाई को लेकर जागरूकता आई है और समाज में ज्यादा से ज्यादा युवा उच्च शिक्षा ग्रहणकर आगे आ रहे हैं, उससे भी ज्यादा उनको बेरोजगारी का भय सता रहा है।

सबसे ज्यादा मुसीबत OBC, SC, ST युवाओं को है, क्योंकि प्राइवेट कंपनियों में इनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित नहीं है। प्राइवेट जॉब की भर्ती में कोई लिखित परीक्षा नहीं होती, इसलिए कोई पारदर्शिता नहीं, कोई जवाबदेही भी नहीं है। कई रिपोर्टों में यह बात सामने आई है कि नौकरी देने वाले पब्लिक सेक्टरों में भर्तियां नहीं की जा रही हैं। जैसे प्रॉफिट के मामले में देश की सबसे बड़ी PSU ONGC में 2003 में 40,000 से ज्यादा कर्मचारी थे, अब सिर्फ 25,000 बचे हैं।

अब तो हालत यह है कि पदों को खत्म करने की मुहिम भी शुरू है। ऐसे बेरोजगार युवाओं को बैकलॉग पड़ी नौकरियों में भर्ती के लिए सरकार के सामने दबाव बनाना होगा, जिससे जल्द से जल्द बिना किसी भेदभाव के भरा जाए, इससे सरकारी कामकाज में दक्षता भी बढ़ेगी, विकसित भारत बनाने का प्रधानमंत्री जी का सपना भी पूरा होगा।

जस्टिस एचएन नाग मोहनदास कमीशन

कर्नाटक राज्य सरकार ने 22 जुलाई 2019 को कमीशन नियुक्त किया था, जिसका उद्देश्य यह पता करना था कि अनुसूचित जाति का आरक्षण 15 प्रतिशत से 17 प्रतिशत और अनुसूचित जाति का 3 प्रतिशत से 7 प्रतिशत किया जाय या नहीं। और क्या इन समुदायों का प्रतिनिधित्व जनसंख्या के अनुपात में है या नहीं?

जस्टिस नाग मोहनदास कमीशन ने 247 पेज की रिपोर्ट 02 जुलाई 2020 को सौंपी और इसमें दिए गए आंकड़ों ने पूरे देश के बुद्धिजीवियों में हलचल मचा दी। रिपोर्ट के पेज क्रमांक 167 में दी गई जानकारी के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं। 

वर्ष 2018 में संसद में विभिन्न मंत्रालयों द्वारा दिए गए जवाब के आधार पर संकलित आंकडे कहते हैं कि केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों-उपक्रमों में 30.75 लाख पद खाली हैं। विभिन्न राज्य सरकारों में खाली पदों को जोड़ा जाए तो 30 लाख पद खाली हैं। बतौर उदाहरण कर्नाटक राज्य सरकार में 2018 में 2.39 लाख पद खाली थे, अर्थात केंद्र ऱाज्य सरकारों को मिलाकर खाली पद 60 लाख से ज्यादा हैं। जस्टिस नाग मोहन दास कमीशन ने अपनी रिपोर्ट 247 पेज पढऩे के लिए कर्नाटक सरकार की वेबसाइट https://twd.karnataka.gov.in/WebPages/PDF2022/JusticeHNMohandasSEP.pdf सर्च कर सकते हैं। 

पत्रकार पीयूष शर्मा की रिपोर्ट

वेबसाइट न्यूज क्लिक में 12 जुलाई 2021 को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार केंद्र और राज्य सरकारों को मिलाकर 60 लाख से ज्यादा पद खाली हैं, इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं। केंद्र सरकार के 80 विभागों में 9,10,000 पद खाली हैं। प्राइमरी स्कूलों में लगभग 10 लाख पद खाली हैं। सरकारी बैंकों (SBI, PNB, BOB etc) में लगभग 2 लाख पद खाली हैं। सेना के तीनों अंगों आर्मी, नेवी, एयरफोर्स एवं अर्ध सैनिक बलों (CRPF, BSF, CISF, ITBP, SSB, AR) में लगभग 3 लाख पद खाली हैं। पत्रकार पीयूष शर्मा की पूरी रिपोर्ट (12 जुलाई 2021) को न्यूज वेबसाइट लीफलेट ने भी प्रकाशित किया है। पढऩे के लिए लिंक नीचे दी गई है। https://theleaflet.in/covid-19/over-60-lakh-central-and-state-govt-posts-lying-vacant।

बेरोजगारी का वर्तमान परिदृश्य

जस्टिस नाग मोहनदास कमीशन की रिपोर्ट जुलाई 2020 में जमा की गई थी, लेकिन आंकड़े 2018 के हैं। तब से 6 वर्ष बीत चुके हैं। इसी प्रकार पत्रकार पीयूष शर्मा की रिपोर्ट (न्यूज क्लिक-लीफलेट) जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी, लेकिन ज्यादातर आंकड़े 2019-20 के दिए गए हैं। आंकड़ों का विश्लेषण करने पर यह बात साफ समझ में आती है कि बैकलॉग वैकन्सी की स्थिति बद से बदतर हो रही है। उदाहरण के तौर पर जस्टिस नाग मोहन दास कमीशन रिपोर्ट में केंद्र सरकार के विभागों में खाली पद 4,12,752 दिए थे, न्यूज् क्लिक की रिपोर्ट ने बताया की वर्ष 2014-15 में खाली पद 4.21 लाख थे। ( कुल पदों का 11.5 प्रतिशत) वर्ष 2018-19 आते-आते खाली पदों की संख्या 9.10 लाख पहुँच गई, जो 2023-24 में 9.79 लाख हो गई है, यही हालत लगभग हर जगह है। कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, लेकिन भर्ती नहीं हो रही, एडहॉक में 12-15 हजार पर युवाओं को नौकरी देकर शोषण किया जा रहा है।

पश्चिम बंगाल में 5 लाख पद खाली

(स्रोत-हिंदुस्तान टाइम्स 13.02.2024)। उत्तर प्रदेश में 4 लाख पद खाली हैं। बेतहाशा बेरोजगारी के दुष्परिणाम ऊपर दिए गए आंकड़े से अंदाज लगा सकते हैं कि वर्तमान (दिसंबर 2024) में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, पब्लिक सेक्टर उपक्रमों, म्युनिसिपल कारपोरेशन इत्यादि को मिलाकर खाली पदों का आंकडा 80 लाख से ज्यादा पहुंच सकता है।

प्राइवेट संस्थाओं द्वारा शोषण

बैकलॉग सरकारी पदों में भर्ती न होने से पढ़े—लिखे होनहार युवा प्राइवेट संस्थाओं में बाहुत कम सैलरी में काम करने के लिए मजबूर हैं। एक उदाहरण से समझिये, एक बड़े परिवार में चार भाई बेरोजगार हैं, अगर एक भाई को सरकारी नौकरी मिल जाती है, कम से कम 40-50 हजार घर में आने लगता है तो यह भाई अन्य तीन को भी कुछ वर्षो तक सम्हाल लेता है, अब ये तीन भाई अगर प्राइवेट में नौकरी के लिए जाते हैं तो कम से कम 30-35 हजार सैलरी मांगेंगे और प्राइवेट कंपनी को देना पड़ेगा, लेकिन अगर चार भाइयों में से किसी को सरकारी जॉब न मिले तो मजबूरी में ये लोग 12-15 हजार की जॉब लेने के लिए भी तैयार हो जाएंगे! स्पष्ट है कि सरकारी पदों में भर्ती नहीं होने से प्राइवेट संस्थाओ द्वारा जबरदस्त शोषण हो रहा है।

सरकारी पद में भर्ती से देश को जबरदस्त फायदा

सरकारी विभागों में खाली पड़े 80 लाख पदों को भरने से सिर्फ इन 80 लाख का भला होगा। हर सरकारी नौकरी से 10 लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष फायदा होता। इस हिसाब से 8 करोड़ लोगों का जीवन बेहतर हो जाएगा। जॉब मिलने से नए घर खरीदेंगे, नई कार खरीदेंगे, कपड़े खरीदेंगे, होटल में खाना खाएंगे, घूमने जाएंगे तो टूरिज्म, पर्यटन बढ़ेगा। कुल मिलाकर देश की अर्थव्यवस्था में जबरदस्त उछाल आएगा।  

न्याय पालिका की दक्षता बढ़ेगी

जिस घर में कोर्ट केस चलता है, वह घर अशांत रहता है, सभी लोग परेशान एवं दुखी रहते हैं, खाली पदों में भर्ती से न्याय पालिका में करोड़ों पेंडिंग केस जल्दी से सुलझ जाएंगे, कुछ विचाराधीन कैदी भी जेल से घर पहुंचकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे पाएंगे। स्वास्थ्य विभाग मे भी लाखों खाली पड़े पदों को भरने से प्राइवेट हॉस्पिटल द्वारा किये जा रहे शोषण से निजात मिलेगी, उचित दाम पर इलाज मिलेगा।

जागरूक नागरिकों की भूमिका

अब आपको मालूम चल गया है कि देश में लगभग 80 लाख सरकारी पद खाली हैं तो मन में प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि हम क्या करें? एक जागरूक नागरिक क्या करे? मेरा उत्तर है कि आप यह कदम उठाएं। जनप्रतिनिधियों से मांग करें कि खाली पदों का मुद्दा विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा एवं हर प्लेटफॉर्म में उठायें, अपने-अपने विधायक से कहें कि लेटर हेड में लिखकर शासन को भेजें! आप लोग सामूहिक रूप से हस्ताक्षर अभियान चलाकर MLA, MP को ज्ञापन दें। लोकल न्यूज पेपर में खाली पदों की रिपोर्ट छापवाएं एवं सभी को पढऩे के लिए कहें। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम में खबर प्रसारित करें। बैकलॉग वैकन्सी ( लगभग 80 लाख पद) को लेकर स्थानीय संगोष्ठी आयोजित करें। 

अंत में सबसे जरूरी बात तो यह है कि कोचिंग संस्थानों में पढऩे वाले बच्चों और लाखों रुपए की फीस भरने वाले माता-पिता को जानकारी दें, कोचिंग संचालकों को भी अवगत कराएं, क्योंकि इतने खाली पदों के बारे में अभी बहुत कम लोगों को मालूम है। आइए हम सब मिलकर युवाओं को योग्यता में अनुसार जॉब दिलवाएं, जिससे युवाओं में व्याप्त निराशा खुशहाली में बदल जाए और विकसित भारत बनाने का सपना पूरा हो, हमारा देश दोबारा विश्वगुरु बने तथागत बुद्ध के सपनों का भारत बने।

नोट: आलेख में लेखक के निजी विचार हैं।  

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