एमपी की 'लाडली बहनों' के चेहरे पर आएगी मुस्कान, खाते में आने वाली है किस्त जानें कब निकाल सकती हैं?
—डॉ. कपिल भार्गव
आधुनिक मनोविज्ञान के जनक सिग्मंड फ्रायड ने भारतीय मनोविज्ञान के विषय में कहा है कि हम मनोविज्ञान की जिस परत तक अभी तक पहुंच पाए हैं भारतीय मनोविज्ञान उससे कहीं आगे रहा है, हमने मन की तीन ही परतों के विषय में संसार को स्पष्ट किया है जो हैं चेतन, अवचेतन एवं अचेतन मन। मन के विषय में हम इससे अधिक गहरी अवधारणा में जा ही नहीं पाए। और यही अवधारणा फ्राइड के शिष्य जंग की भी कहीं ना कहीं रही है। दोनों ने ही मनोविज्ञान के संदर्भ में बार-बार भारतीय पक्ष को अवश्य ही रखा है।
हम जानते हैं कि भारतीय मनोविज्ञान में मन को अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश और आनंदमय कोश में विभाजित किया गया है। शरीर के अंदर चार शरीर और विद्यमान हैं। इन सभी को मिलाकर पंचकोश कहा गया है। भारतवर्ष में ध्यान की परंपरा वैदिक काल से रही है और विश्व में जहां भी यह परंपरा है वह केवल भारतीय ज्ञान परम्परा की ही देन है। सार यह हुआ कि जब उन्नीसवीं शताब्दी में पाश्चात्य विद्वानों ने मनोविज्ञान और मन के विषय में विश्लेषण करना प्रारंभ किया उसके हजारों वर्ष पूर्व ही भारतीय मनीषियों ने मनोविज्ञान पर एक बृहद विवेचना की थी। यह तो सिद्ध है कि दोनों ही चिंतन परम्पराएँ हमें स्वप्नों के विश्लेषण की दिशा अवश्य दिखातीं है जिन्हें व्यापक रूप से समझने की आवश्यकता है।
स्वप्नों की विविध अनुभूतियां मानव को होती हैं इनका संबंध उसके जीवन में घटी घटनाओं अथवा चेतन और चेतन या अचेतन की अनुभूतियों पर निर्भर करता है भारतीय ज्ञान परंपरा में वेद, वेदांग, उपनिषद्, ज्योतिष, आयुर्वेद, योग आदि के अनुरूप कारकों का निर्धारण किया गया है। कुछ स्वप्न क्षणिक होते हैं जो नींद खुलते ही विस्मृत हो जाते हैं। कुछ ऐसे होते हैं जिनमें यह भी याद नहीं होता कि हमने स्वप्न देख भी है। और कुछ की स्मृतियां सुदीर्घ समय तक हमारे स्मृति पटल पर बनी रहती हैं। इसका निर्धारण भी स्वप्न के कारक ही विवेचित कर सकते हैं।
उधर पाश्चात्य मनोविज्ञानिकों में स्वप्न विश्लेषण, मनोविश्लेषण की एक तकनीक है जिसके ज़रिए सपनों के छिपे अर्थों को समझा जाता है. इसका लक्ष्य सपनों में छिपी अचेतन इच्छाओं, विचारों, और भावनाओं को उजागर करना होता है. स्वप्न विश्लेषण, सिगमंड फ़्रायड के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत पर आधारित है. फ़्रायड के मुताबिक, सपने दमित इच्छाओं और संघर्षों की अभिव्यक्ति होते हैं. स्वप्न विश्लेषण का इस्तेमाल मनोचिकित्सा के अलावा, जुंगियन, गेस्टाल्ट, संज्ञानात्मक व्यवहार, और कला चिकित्सा जैसे चिकित्सीय ढांचे में भी किया जाता है।
स्वप्न विश्लेषण के ज़रिए, सपनों में मौजूद अचेतन प्रेरणाओं, संघर्षों, या छिपे हुए अर्थों को सामने लाया जाता है। स्वप्न विश्लेषण की मदद से, सपनों की प्रकट सामग्री और अव्यक्त सामग्री को उजागर किया जाता है। सपने के बारे में लिखते समय, उसमें विद्यमान हर छोटी-बड़ी बात को लिखना चाहिए।
जैसे आज दिनांक 30/12/2024 को मैंने स्वप्न में अपने पिताजी को इतनी सहजता से देखा जैसी उनकी स्मृतियाँ मेरे पास संकलित हैं। मुझे स्वप्न में ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो सब वैसा ही है जैसे पिताजी के सन् 2017 में पंचतत्व में विलीन होने के पूर्व था। वही अनुशासन, वही स्नेह और वही संबंधात्मक तादात्म्य जो उनके होने पर था। लेशमात्र भी उनके न होने की प्रतीति स्वप्न में नहीं थी। सब वैसा का वैसा ही जो उनके साथ होने पर होता है। और आज इस स्वप्न के आने का कारण भी उनके कल स्मरण से कहीं न कहीं जुड़ा ही होगा।
मुझे भी विभिन्न प्रकार के स्वप्न आते हैं परन्तु सर्वाधिक प्रभावित माता-पिता, दादा-दादी के सुदीर्घ साहचर्य और अवचेतन में उनकी स्मृतियों से जुड़कर आने वाले स्वप्न ही करते हैं। और यह कहीं न कहीं स्वपनविश्लेषण के सिद्धांतों से अवश्य ही जुड़े हुए हैं।
लेखक: केंद्रीय विद्यालय संगठन में संस्कृत आचार्य हैं।
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