28.8 c Bhopal

यूजी स्टूडेंट्स को बड़ी राहत, अब बीच में बदल सकेंगे कॉलेज

भोपाल. मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा को लेकर प्रदेश सरकर ने बड़ा कदम उठाया है। देश में सबसे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति—2020 लागू करने में अव्वल मप्र सरकार ने अब उच्च शिक्षा में गुणवत्ता की दिशा में अहम निर्णय लिया है। उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने प्रदेश के समस्त उच्च शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परम्परा, मूल्य संवर्धन एवं कौशल विकास के अध्ययन के समावेश के लिए व्यापक कार्ययोजना के साथ क्रियान्वयन के निर्देश दिए थे।

उच्च शिक्षा विभाग ने उक्त निर्देशों के अनुपालन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं UGC के दिशा निर्देशों के अनुरूप स्नातक पाठ्यक्रम के लिए नवीन अध्यादेश 14 (1) तैयार किया है। स्नातक पाठ्यक्रम के लिए पृथक-पृथक दो अध्यादेश 14 (ए)-सेमेस्टर प्रणाली और 14 (बी)-वार्षिक प्रणाली को सरलीकृत करते हुए सभी स्नातक पाठ्यक्रम के लिए, मात्र एक अध्यादेश 14 (1) निर्माण किया गया है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में 14 (ए) और 14 (बी) को सरलीकृत करते हुए, नवीन अध्यादेश 14 (1) सृजित किया गया है। नवीन अध्यादेश 14 (1) में भारतीय ज्ञान परम्परा, मूल्य संवर्धन एवं कौशल विकास के अध्ययन के लिए प्रावधान किये गये हैं। यह अध्यादेश शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को समाज से जोड़ने, प्रतिभावान विद्यार्थियों को अनुसंधान का अवसर प्रदान करने एवं उनके सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहित करेगा।

विद्यार्थी स्नातक अवधि के मध्य, सेमेस्टर से वार्षिक अथवा वार्षिक से सेमेस्टर प्रणाली में अध्ययन कर सकेंगे यानि विद्यार्थियों को एक संस्थान से दूसरे संस्थान में स्थानांतरण लेना सुविधाजनक होगा। नवीन अध्यादेश लागू होने से सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में क्रेडिट प्रणाली एकसमान होगी, साथ ही विद्यार्थियों को भाषा अध्ययन के अवसर उपलब्ध होंगे। स्नातक पाठ्यक्रम में यह नवीन अध्यादेश चरणबद्ध रूप से लागू होगा।

अध्यादेश 14 (ए) और 14 (बी) में पृथक-पृथक क्रेडिट प्रणाली है, जबकि नवीन अध्यादेश 14 (1) में समान क्रेडिट प्रणाली की व्यवस्था होगी। प्रचलित अध्यादेश में 50% से कम क्रेडिट पर अनुत्तीर्ण/शून्य सेमेस्टर होता है, जबकि नवीन अध्यादेश 14 (1) में 50% से कम क्रेडिट की बाध्यता समाप्त होगी। प्रचलित अध्यादेश में एक मुख्य विषय का विकल्प रहता है, जबकि नवीन अध्यादेश 14 (1) में दो मुख्य विषयों के विकल्प के अवसर उपलब्ध रहेंगे।

प्रचलित अध्यादेश में स्नातक चतुर्थ वर्ष के लिए 7.5 CGPA की बाध्यता रहती है जबकि नवीन अध्यादेश 14 (1) में समस्त विद्यार्थियों के लिए चतुर्थ वर्ष ऑनर्स का विकल्प उपलब्ध रहेगा। प्रचलित अध्यादेश में विद्यार्थियों को समस्त विषय एवं प्रवेशित संस्था में पढ़ने की अनिवार्यता रहती है, जबकि नवीन अध्यादेश 14 (1) में विद्यार्थियों के लिए प्रवेशित संस्था में विषय उपलब्ध ना होने की दशा में ऑनलाइन चुनने का प्रावधान रखा गया है। प्रचलित अध्यादेश में श्रेणी सुधार का अवसर उपलब्ध नहीं हैं जबकि नवीन अध्यादेश 14 (1) में समस्त विद्यार्थियों के लिए श्रेणी सुधार के अवसर उपलब्ध होंगे। प्रचलित अध्यादेश में स्नातक में तीनों वर्षों में भाषा अध्ययन अनिवार्य नहीं है, जबकि नवीन अध्यादेश 14 (1) में भाषा का अध्ययन तीनों वर्षों में अनिवार्य होगा।

Comments

Add Comment

Most Popular