28.8 c Bhopal

एमपी के क्लाइमेट, सौर ऊर्जा पर एक्सपर्ट का मंथन

भोपाल. मध्यप्रदेश के क्लाइमेंट यानी, मौसम पर शुक्रवार को भोपाल में एक्सपर्ट ने मंथन किया। सबसे खास सौर ऊर्जा पर फोकस रहा। दिल्ली मेट्रो और रीवा सौलर प्लांट के उदाहरण दिए गए। अब दो साल में प्लान बनाकर सरकार को सौंपा जाएगा। ताकि, नीतिगत बदलाव किए जाए।

पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) ने डब्ल्यूआरआई इंडिया के सहयोग से 'मध्यप्रदेश की दीर्घकालिक न्यून कार्बन विकास रणनीति' विकसित करने के लिए भोपाल में सेमिनार किया। साल 2026 तक विकसित की जाने वाली इस रणनीति का उद्देश्य भारत के 2070 के नेट जोरो के टारगेट में योगदान देना है। ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव मनु श्रीवास्तव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा- दीर्घकालिक न्यून कार्बन विकास रणनीतियां केवल एक महत्वपूर्ण कदम ही नहीं बल्कि बिजनेस अस यूजुअल परिदृश्य की तुलना में लंबे समय में अधिक लाभदायक साबित हो रही हैं। उन्होंने रीवा में सौर ऊर्जा प्लांट का उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह दूरदर्शी दीर्घकालिक न्यून कार्बन रणनीति राज्य के लिए हरित विकास, अधिक लाभ और बचत की ओर ले जा रही है। उदाहरण के लिए, दिल्ली मेट्रो के मामले में 60% ऊर्जा की जरूरतें (दिन के समय) सौर संयंत्र से पूरी की जाती है। जिससे सालाना लगभग 100 करोड़ रुपए की बचत होती है।

एप्को की कार्यपालन संचालक डॉ. सलोनी सिदाना ने कहा कि, मध्यप्रदेश भारत में छठे सबसे अधिक जीएचजी उत्सर्जक राज्य के रूप में उभर कर आया है। जहां प्रति व्यक्ति उत्सर्जन राष्ट्रीय औसत से अधिक है। ऊर्जा क्षेत्र इन उत्सर्जनों में सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना हुआ है। इन चुनौतियों के लिए एक व्यापक, दीर्घकालिक रणनीति की आवश्यकता है, जो न केवल राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ संरेखित हो बल्कि राज्य की विशिष्ट आवश्यकताओं को भी संबोधित करें और इसकी अनूठी शक्तियों का दोहन करें। उन्होंने कहा- जलवायु परिवर्तन पर हमारी राज्य कार्ययोजना जलवायु से संबंधित कार्यों के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करती है और नेशनली डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशन और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) 2030 की समय-सीमा के साथ संरेखित होती है।

डब्ल्यूआरआई की पूर्व वरिष्ठ फेलो प्रीति भंडारी ने कहा, भारत के लिए अपने महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य स्तरीय कार्रवाई महत्वपूर्ण है। इसके लिए राज्य जलवायु कार्ययोजनाओं में निवेश का जिक्र होना चाहिए। जिसमें कम कार्बन और जलवायु-अनुकूलन विकास के लिए रणनीतियों को स्पष्ट किया जाना चाहिए। राज्य स्तर पर ऐसी जिम्मेदारी सौंपे जाने के साथ केंद्र की सहायक भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

कार्यशाला में चार प्रमुख शहर- भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर के लिए हीट एक्शन प्लानिंग पर चर्चा की गई। ताकि, इसे रोक जा सके। जीआईजेड में जलवायु परिवर्तन के लिए भारत-जर्मन समन्वय के निदेशक डॉ. एलेक्जेंडर फिशर, डब्ल्यूआरआई इंडिया में जलवायु, आईएएस अमरवीर सिंह बैस, आईएफएस पद्मप्रिया बालकृष्णन, अर्थशास्त्र और वित्त की कार्यकारी निदेशक उल्का केलकर ने भी संबोधित किया। डब्ल्यूआईआर के असोसिएट प्रोग्राम डायरेक्टर सारांश वाजपेयी समेत कई एक्सपर्ट भी मौजूद थे।

Comments

Add Comment

Most Popular