एमपी की 'लाडली बहनों' के चेहरे पर आएगी मुस्कान, खाते में आने वाली है किस्त जानें कब निकाल सकती हैं?
नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी के प्रगति मैदान में गुरुवार को ग्लोबल बायो इंडिया 2024 के उद्घाटन समारोह में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, ग्लोबल बायो इंडिया ने 30 अभिनव स्टार्टअप्स का शुभारंभ किया है, जो जैव प्रौद्योगिकी के भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेंगे। ग्लोबल बायो इंडिया सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने डीबीटी और बीआईआरएसी को अभूतपूर्व विकास के लिए बधाई दी और कहा कि भारत की जैव अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय विकास को हासिल किया है, जो 2014 में 10 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024 में 130 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई है, और इसके 2030 तक 300 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत एक वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी शक्ति के रूप में उभर रहा है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दुनिया भर में नए जैव प्रौद्योगिकी बूम के चैंपियन के रूप में सराहा जाएगा, जो अर्थव्यवस्था, नवाचार, रोजगार और पर्यावरणीय प्रतिबद्धताओं को बढ़ावा देने का भरोसा देता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग और बीआईआरएसी द्वारा प्रकाशित 'इंडिया बायो इकोनॉमी रिपोर्ट 2024' पर प्रकाश डाला, जिसमें भारतीय जैव प्रौद्योगिकी उद्योग द्वारा की गई अभूतपूर्व प्रगति को दर्शाया गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना की, जो जैव प्रौद्योगिकी परिवर्तन के इस नए युग में मार्गदर्शन कर रहे हैं।"
ग्लोबल बायो-इंडिया के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जीबीआई विभिन्न प्रतिभागियों, जिसमें केंद्रीय और राज्य मंत्रालय, स्टार्टअप्स, एसएमई, बड़े उद्योग, बायोक्लस्टर, अनुसंधान संस्थान, निवेशक, इनक्यूबेटर, नियामक, नीति निर्माता, व्यापार विश्लेषक, कानूनी, आईपी, सीआरओ, अन्य देशों के नवाचार मिशन, अंतर्राष्ट्रीय निकाय, उद्योग संघ शामिल हैं, के लिए एक अनूठा व्यावसायिक नेटवर्किंग मंच प्रदान करता है।
इस यात्रा का उल्लेख करते हुए, उन्होंने ग्लोबल बायो-इंडिया के तीन संस्करणों को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए डीबीटी-बीआईआरएसी की सराहना की। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए पहला स्टार्टअप एक्सपो जून 2022 में आयोजित किया गया था, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने ग्लोबल बायो-इंडिया 2024 को 2023 की तुलना में एक ज्यादा बड़ा आयोजन बताया, जिसमें 30 से अधिक देशों, 500 से अधिक प्रदर्शक, 5000 से अधिक प्रतिनिधि, 1000 से अधिक स्टार्टअप्स, बी2बी, बी2जी, जी2जी बैठकें और बहुत कुछ शामिल हैं। डॉ. सिंह ने कहा, भारत में निवेश करने के बहुत से कारण हैं, एक कारण यह है कि भारत वैश्विक वैक्सीन उत्पादन में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है, इसका अमेरिका के बाहर यूएसएफडीए द्वारा अनुमोदित निर्माण संयंत्रों की संख्या के मामले में दूसरा सबसे बड़ा होना है। यहां बायो-फार्मा, बायो-एग्री, बायो-इंडस्ट्रियल, बायो-एनर्जी, बायो-सर्विसेज और मेड-टेक में निवेश के अवसर उपलब्ध हैं।
यह रेखांकित करते हुए कि भारत में 'बायो-क्रांति' पश्चिमी दुनिया द्वारा संचालित आईटी क्रांति के समान है, डॉ. सिंह ने स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा हाल ही में अनुमोदित बायो ई3 (जैव प्रौद्योगिकी अर्थव्यवस्था, रोजगार और पर्यावरण के लिए) नीति का उल्लेख किया।
बायो ई3 नीति के बारे में जानकारी साझा करते हुए, उन्होंने इस नीति को वैश्विक जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि में हमारे देश के लिए इस महत्वपूर्ण समय पर उपयुक्त कदम बताया, जो एक स्वच्छ, हरे-भरे और समृद्ध भारत के निर्माण को सक्षम करेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नई नीति हमारे पर्यावरण की रक्षा करते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देगी। उन्होंने जैव-आधारित रसायन और एंजाइम, स्मार्ट प्रोटीन, सटीक जैव चिकित्सा, जलवायु-अनुकूल कृषि, कार्बन कैप्चर और उपयोग तथा उन्नत समुद्री एवं अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे प्रमुख फोकस क्षेत्रों पर जोर दिया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने इन्हें जैव प्रौद्योगिकी का भविष्य बताया और कहा कि ये विभिन्न उद्योगों में विकास और नवाचार को प्रेरित करेंगे।
बायो ई3 नीति अत्याधुनिक जैव निर्माण सुविधाओं, जैव फाउंड्री क्लस्टर और बायो-एआई हब स्थापित करके इस परिवर्तन का सहयोग करेगी। जैव प्रौद्योगिकी केंद्र अनुसंधान और वाणिज्यिक निर्माण के बीच की खाई को पाटेंगे, स्टार्टअप्स, एसएमई और अच्छी तरह से स्थापित कंपनियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देंगे, जिससे उच्च प्रदर्शन जैव निर्माण और जैव अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। मंत्री महोदय ने कहा कि बड़े पैमाने पर जैविक डेटा का विश्लेषण करने के लिए एआई के एकीकरण से जीन थेरेपी, खाद्य प्रसंस्करण में प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा।
रोजगार के अवसरों पर जोर देते हुए, खासकर टियर-II और टियर-III शहरों में, उन्होंने कहा कि जैव निर्माण केंद्र स्थानीय संसाधनों का उपयोग करेंगे और क्षेत्रीय आर्थिक विकास में योगदान देंगे, जिससे अधिक समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने मानक बढ़ाने, बाधाओं को खत्म करने और नई ऊंचाइयों तक पहुंचने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, हमने जो गति प्राप्त की है और जो प्रतिभाओं का संगम है, उसके चलते भारत@2047 जैव प्रौद्योगिकी के मामले में अग्रणी होगा। बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बीआईआरएसी) ने जैव प्रौद्योगिकी के 9 प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ आशय पत्रों पर हस्ताक्षर किए, जिनके नाम हैं
- 1.यूनाइटेड स्टेट्स फार्माकोपियल कन्वेंशन (यूएसपी)
- 2. यूके रिसर्च एंड इनोवेशन (यूकेआरआई), यूके
- 3. डीएचआर होल्डिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (दानाहर)
- 4. मॉरीशस इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी लिमिटेड (एमआईबीएल)
- 5. ला ट्रॉब यूनिवर्सिटी
- 6. ब्लॉकचेन फॉर इम्पैक्ट (बीएफआई)
- 7. यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआईएसपीएफ)
- 8. आईबायोएम (इंडियन बायोटेक एमएसएमई एंड स्टार्टअप फाउंडेशन)
- 9. भारत स्टार्टअप एंड इनोवेशन सोसाइटी (बीएसआईएस)- भारत स्टार्टअप फेस्टिवल
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