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चिकनपॉक्स से निपटने में बड़ी सफलता, नए संस्करण का पता चला 

पुणे. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) ने अपने नवीनतम अध्ययन में देश में पहली बार चिकनपॉक्स पैदा करने वाले वेरिसेला-ज़ोस्टर वायरस (वीजेडवी) के क्लैड 9 संस्करण की मौजूदगी पता लगाने में सफलता हासिल की है, जिससे जीनोम निगरानी पर नए सिरे से जोर दिया गया है। वैरीसेला ज़ोस्टर वायरस मनुष्यों को संक्रमित करने वाले नौ ज्ञात हर्पीस वायरस में से एक है। यह मुख्य रूप से बच्चों और किशोरों में चिकनपॉक्स और वयस्कों में दाद का कारण बनता है। क्लैड एक सामान्य पूर्वज से उत्पन्न एक उपप्रकार जीनोटाइप या समूह है। 

अध्ययन में मूल्यांकन किए गए वीजेडवी के 331 संदिग्ध मामलों में से वेसिकुलर चकत्ते वाले 28 मामलों को वीजेडवी के लिए सकारात्मक पाया गया। उनके विश्लेषणों ने देश में क्लैड 1, 5 और 9 के प्रसार की पुष्टि की, जबकि क्लैड 1 और 5 पहले देश में पाए गए थे, यह पहली बार है कि भारत में क्लास 9 का पता चला है, जैसा कि अध्ययन से पता चला है। अध्ययन के लेखकों में से एक एनआईवी वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव ने कहा, क्लैड 9 जर्मनी, यूके और यूएस जैसे देशों में प्रचलन में सबसे आम वीजेडवी स्ट्रेन है। हालांकि, यह भारत में वीजेडवी क्लैड 9 के प्रसार की रिपोर्ट करने वाला पहला अध्ययन है। उन्होंने कहा, भारत में वीजेडवी क्लैड 9 वैरिएंट का पता चलने के बावजूद रोगियों में रोग की गंभीरता बढ़ने के कोई महत्वपूर्ण संकेत नहीं थे। 

कोविड-19 महामारी के दौरान बढ़ी निगरानी के कारण हम नए समूह का पता लगाने में सक्षम हुए। अध्ययन 6 सितंबर को एनल्स ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ था। डॉ. यादव ने कहा, क्लैड 1, 5 और 9 की तीव्रता, लक्षण और संचरण की दर में अंतर को लेकर और अधिक अध्ययन की आवश्यकता थी।

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