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1.63 लाख बहनें अब नहीं रहीं लाड़ली 

भोपाल. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले शुरू की गई लाड़ली बहना चुनाव में गेमचेंजर साबित हुई। मध्यप्रदेश के बाद महाराष्ट्र, दिल्ली सहित कई अन्य सरकारों ने इसे अपनाया। हालांकि, देश के जिन—जिन राज्यों में चुनाव होते जा रहे हैं, वे राज्य ये योजना लागू करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। हालांकि, मप्र में अब यह योजना सिमटती जा रही है। योजना के तहत मप्र में लाड़ली बहनों को 1250 रुपए प्रतिमाह मिल रहे हैं। 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के ऐन पहले शुरू की गई इस योजना के तहत अब तक 19 किस्त जारी की जा चुकी हैं। 

दरअसल, मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की 1 लाख 63 हजार महिलाओं को इस बार 1250 रुपए की किस्त नहीं मिलेगी। इन महिलाओं की उम्र 60 साल से अधिक हो चुकी है। ऐसे में महिला और बाल विकास विभाग ने इन्हें अपात्र घोषित कर दिया है। अब जनवरी 2025 में 1.26 करोड़ महिलाओं को ही 1250 रुपए की किस्त मिल सकेगी। इससे पहले 11 दिसंबर 2024 को 1.28 करोड़ महिलाओं के खाते में 1572 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए थे।

जनवरी 2025 में 20वीं किस्त मिलने वाली है। इसके लिए विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। अनुमान है कि सरकार 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती के दिन आयोजित दो अलग-अलग कार्यक्रमों के दौरान राशि ट्रांसफर कर सकती है। सरकार ने किस्त देने के लिए 31 दिसंबर 2024 को 5 हजार करोड़ का कर्ज भी ले लिया है, जिसका भुगतान सरकार को एक जनवरी 2025 को हो गया है।

इ​सलिए बनी ये स्थिति  

लाड़ली बहना योजना में नए नाम नहीं जोड़े जा रहे हैं, जबकि करीब 20 माह से लागू इस योजना में पात्र महिलाओं के नाम उम्र और अन्य शर्तों के आधार पर हर बार किस्त जारी होने के पहले नाम कटते जा रहे हैं। इसी कारण इनकी संख्या 2023 और 2024 में बढ़ने की बजाय घटी है।

धीरे—धीरे घट रहीं बहनें

जब योजना शुरू हुई थी तो कुल 1 करोड़ 31 लाख 35 हजार 985 आवेदन आए थे। इसके बाद 2 लाख 18 हजार 858 नाम आपत्तियों को आधार बनाकर काटे गए थे, जिसके बाद यह संख्या 1 करोड़ 29 लाख 5 हजार 457 रह गई थी। अब यह संख्या एक करोड़ 26 लाख से अधिक तक पहुंचने वाली है।

ऐसे घट रहे पात्र महिलाओं के नाम

योजना में पात्र महिलाओं के नाम कम होने को लेकर अफसरों का कहना है कि इसकी सबसे बड़ी शर्त महिला की उम्र साठ साल पूरी होना है, इसके अलावा योजना का लाभ पाने वाली जिन महिलाओं की मृत्यु हो जाती है उनके नाम भी हर माह डिलीट किए जाते हैं। साथ ही जो महिला पात्रता की शर्तों के आधार पर लाभ का परित्याग करने के लिए विभाग को लिखित में जानकारी देती हैं, उनके भी नाम काटे जाते हैं।

गौरतलब है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 4 मार्च 2023 को भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान लाड़ली बहना योजना बनाने का ऐलान किया था। उन्होंने सभा में सार्वजनिक रूप से कहा कि एक दिन मैं रात भर जागा। सुबह 4 बजे मैंने पत्नी को जगाया। 

कहा- एक योजना मेरे दिमाग में आई है। सभी बहनें मुझे भाई मानती हैं। मैं भी तो अपनी बहनों को कुछ दूं। साल में एक बार पैसा देने से काम नहीं चलेगा। हर महीने पैसा देंगे, तो बहनों की समस्या का समाधान होगा। वे इज्जत से जी सकेंगी। इसी विचार से बनी मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना। यह योजना नहीं, बहनों की जिंदगी बचाने का महा अभियान है।

5 साल में 61,890.84 करोड़ खर्च होंगे

मध्यप्रदेश में महिलाओं के आर्थिक स्वावलम्बन और उन पर आश्रित बच्‍चों के स्वास्थ्य-पोषण स्तर में सतत सुधार के मकसद से 28 जनवरी 2023 को मुख्‍यमंत्री लाड़ली बहना योजना लागू किए जाने की घोषणा की गई थी, इसके अंतर्गत पहले 1000 रुपए दिए गए। बाद में 250 रुपए प्रतिमाह बढ़ाकर 1250 रुपए दिए जा रहे हैं। 25 मार्च 2023 से आवेदन भरना शुरू हुए। 20 अप्रैल तक आवेदन भरे गए। मई में आवेदनों की जांच कर 10 जून 2023 को महिलाओं के खातों में पहली किस्त भेजी गई।

महिला बाल विकास विभाग ने 2023-24 के बजट में लाड़ली बहना योजना के लिए 1000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। 5 साल में योजना में 61,890.84 करोड़ रुपए के खर्च का आकलन किया है। अब तक योजना के तहत 19 किस्त जारी हो चुकी है। 12 जनवरी 2025 को 20वीं किस्त आएगी।

कमलनाथ बोले— ये लाड़ली बहना से धोखाधड़ी 

मामले में अब विपक्ष दल कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है। पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश में लाड़ली बहनों से डॉ. मोहन यादव सरकार की धोखाधड़ी जारी है। ऐसा लगता है जैसे भाजपा लाड़ली बहना योजना समाप्त करना चाहती है। चुनाव से पहले जो भाजपा लाड़ली बहनों को 3 हज़ार रुपया प्रतिमाह देने का वादा कर रही थी, वही भाजपा अब सम्मान राशि बढ़ाने की जगह लगातार लाड़ली बहनों की संख्या घटाने में लगी है।

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