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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 1984 भोपाल गैस त्रासदी से निकले जहरीले अपशिष्ट को मध्य प्रदेश के धार जिले के पीथमपुर इलाके में स्थानांतरित करने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के संयंत्र से निकलने वाले अपशिष्ट के निपटान के गुरुवार के ट्रायल रन पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि नीरी, एनजीआरआई और सीपीसीबी के विशेषज्ञों ने मुद्दों पर अपने विचार दिए हैं, जिन पर उच्च न्यायालय के साथ-साथ विशेषज्ञ पैनल ने भी विचार किया है। पीठ ने नागरिक समाज के सदस्यों सहित पीड़ित पक्षों से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा, जो इस मामले पर विचार कर रहा है।
25 फरवरी को शीर्ष अदालत ने अधिकारियों से अपशिष्ट के निपटान के लिए बरती गई सावधानियों के बारे में जानकारी मांगी थी। अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से करीब 377 टन खतरनाक कचरे को प्लांट में निपटान के लिए भोपाल से करीब 250 किलोमीटर और इंदौर से 30 किलोमीटर दूर पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ले जाया गया।
2-3 दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात को यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से अत्यधिक जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) लीक हुई, जिससे 5,479 लोगों की मौत हो गई और पांच लाख से ज़्यादा लोग अपंग हो गए। इसे दुनिया की सबसे भयानक औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
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