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खाद संकट पर कांग्रेस का हमला, पटवारी, सिंघार ने सरकार को घेरा 

भोपाल. प्रदेश में डीएपी और यूरिया खाद संकट को लेकर किसानों द्वारा किए जा रहे रतजगा पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, विधानसभा नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मोहन सरकार को घेरा है। कमलनाथ और सिंघार ने एक्स पर लिखा है कि मध्यप्रदेश का किसान खाद संकट से जूझ रहा है और सरकार किसानों को राहत देने की बजाय इवेंट और चुनाव प्रचार में व्यस्त है। वहीं पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने किसानों को खाद के लिए लाइन में लगातार खड़े रखने और लाठियों से पिटवाने का आरोप लगाते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से सवाल किए हैं।

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने प्रदेश में खाद संकट पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष से सवाल पूछे हैं। पटवारी ने कहा है कि खाद के लिए किसान दर-दर भटक रहे हैं और बीजेपी के लोग ब्लैक में खाद बेच रहे हैं और 1200 से 1500 रुपए का मुनाफा ले रहे हैं। बुधनी में खाद की भारी किल्लत है। वीडी शर्मा बताएं कि एमपी में डीएपी का कितना आकलन किया था।

कितनी यूरिया का आकलन किया था यह भी बताएं कि कितनी यूरिया और डीएपी की डिमांड की गई थी। अगर कम डिमांड की गई थी तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? पटवारी ने कहा कि वे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष शर्मा से जवाब चाहते हैं कि पब्लिक डोमेन में इन सवालों के जवाब दें। पटवारी ने कहा कि बीजेपी को वोट मिला है तो बीजेपी के लोग मदमस्त हैं। लोगों की आंखों में मिर्ची न झोंकें। इसके लिए अगर कोई अपराधी है तो वह बीजेपी की सरकार है।

पूर्व सीएम कमलनाथ ने एक्स पर लिखा-आंकड़े बताते हैं कि सरकार की लापरवाही और अदूरदर्शिता के कारण कुल मांग के अनुपात में बहुत कम खाद की आपूर्ति हो सकी है। किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल पा रही है। जब केन्द्रीय कृषि मंत्री के राज्य मध्यप्रदेश और खासतौर से उनके गृह जिले सीहोर में ही खाद का संकट है तो पूरे प्रदेश और देश के हालात का आप अनुमान लगा सकते हैं। डबल इंजन सरकार का नारा जमींदोज़ हो चुका है। अब डबल बर्बादी जारी है।

कमलनाथ ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से सवाल करते हुए लिखा है कि, खाद का संकट कोई प्राकृतिक आपदा नहीं है। यह आपकी सरकार की अनदेखी और कृषि विभाग की अधूरी तैयारियों का नतीजा है। सरकार का दायित्व होता है कि किसानों के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद बीज की समय से पहले व्यवस्था कर ली जाए, ताकि मांग और पूर्ति का संतुलन बना रहे लेकिन आपकी सरकार नफरत फैलाने और लोगों को लड़ाने में इतना व्यस्त रहती है कि खाद-बीज जैसे जरूरी काम प्राथमिकता में ही नहीं रहते।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने एक्स पर लिखा है कि, एमपी में हर नागरिक किसी न किसी वजह से सरकारी व्यवस्थाओं से नाराज है। डीएपी के बाद अब किसान यूरिया के लिए सोसायटियों के बाहर रात्रि जागरण करने के लिए मजबूर हैं। रबी फसल की बोनी शुरू हो गई और सरकार चिरनिद्रा में है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर सहित पूरे प्रदेश के हालात ऐसे ही हैं। जब कृषि मंत्री अपने इलाके के किसानों को डीएपी मुहैया नहीं करा पा रहे तो बाकी जिलों की हालत समझी जा सकती है।
 

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