एमपी की 'लाडली बहनों' के चेहरे पर आएगी मुस्कान, खाते में आने वाली है किस्त जानें कब निकाल सकती हैं?
भोपाल. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मध्यप्रदेश में ड्रग्स के बढ़ते कारोबार को लेकर प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोला है। पटवारी ने कहा कि प्रदेश में जिस तरह से ड्रग्स के कारोबार की परत-दर-परत उखड़ती जा रही है, उससे प्रतीत होता है कि मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है जहां देश की सबसे ज्यादा ड्रग्स मप्र में ही है। प्रदेश में एक साल में इस तरह की 5 से 6 घटनाएं लगातार देखने को मिली है, आखिर भाजपा सरकार इस प्रदेश को क्या और कैसा प्रदेश बनाना चाहती है, क्यों बच्चों के भविष्य को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा करना चाहती है।
पटवारी ने कहा कि पिछले 22-25 साल से प्रदेश में भाजपा की सरकार है, जिसमें करीब 20 साल शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री रहे और अब मोहन यादव मुख्यमंत्री हैं। आज पंजाब को पीछे छोड़ मध्यप्रदेश उड़ता हुआ मप्र बन गया है, जिसमें नशीले पदार्थों का कारोबार बड़ी तीव्रता से फैलता जा रहा है। हाल ही में राजधानी भोपाल में 1800 करोड़ रूपये का ड्रग्स का कारोबार और अब मप्र के आदिवासी जिले झाबुआ में जहां अधिकांश गौण, भील, भिलाला, कौल और अन्य आदिवासी निवास करते हैं के मेघनगर में 170 करोड़ रूपये की ड्रग्स बरामद होना अपने आप में बहुत बड़ा मामला है।
पटवारी ने कहा कि झाबुआ के मेघनगर में जो ड्रग्स की फैक्ट्री चल रही थी उसका मालिक गुजरात का होना बताया गया है। एक छोटे से कस्बे में मादक पदार्थ का इतना बड़ा जखीरा मिलना प्रदेश सरकार के लिए बेहद लल्लाजनक और प्रदेश को शर्मसार करता है। पटवारी ने कहा कि ड्रग्स से परिवार के परिवार तबाह हो रहे हैं लेकिन प्रदेश सरकार और कानून व्यवस्था बर्बादी के इस मंजर को मूकदर्शक बनी देख रही है।
प्रदेश में पूरी तरह से ध्वस्त कानून व्यवस्था का आरोप लगाते हुए टवारी ने कहा है कि प्रदेश में ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों के अवैध कारोबार लगातार उजागर हो रहे हैं जो प्रदेश के लिए बेहद शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि भोपाल में 1800 करोड़ की ड्रग्स पकड़े जाने का मामला लोगों के दिमाग से अभी उतरा ही नहीं कि आज फिर झाबुआ के मेघनगर में 170 करोड़ का ड्रग्स का बड़ा करोबार गुजरात की पुलिस द्वारा पकड़ा गया है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
पटवारी ने कहा कि यह सरकार आखिर इस प्रदेश को किस ओर मोड़ना चाहती है। आज एक बार फिर मध्यप्रदेष में ड्रग्स कांड पर सियासत गरमा गई है। सरकार न तो इस तरह की गतिविधियों को रोकने में कोई रुचि दिखा रही है और न ही मादक पदार्थों के कारोबार में लिप्त लोगों तक पहुंच उन पर कानून का शिकंजा कस पा रही है। मप्र की पुलिस की नाकामी से मादक पदार्थों का कारोबार करने वालों तक पुलिस पहुंच ही नहीं पा रही है, जिससे युवाओं में नशे की लत लगती जा रही है और प्रदेश बर्बादी की कगार पर पहुंचता जा रहा है, क्योंकि सरकार और आला अधिकारियों के संरक्षण के बिना इतना बड़ा कारोबार संभव नहीं हैं।
पटवारी ने कहा कि आखिर क्या कारण है कि इन जहरीली फैक्ट्रियों को लगाने के लिए गुजरात में परमिशन नहीं मिलती उन्हें, मध्यप्रदेश में परमिशन कैसे और किस आधार पर मिल जाता है। प्रदेश सरकार बताये कि ड्रग्स की फैक्ट्री लगाने के लिए झाबुआ के मेघनगर में कैसे किसके आदेश पर अनुमति मिली, सरकार सार्वजनिक करें।
पटवारी ने कहा कि मध्यप्रदेश की सरकार और पुलिस दोनों सो रही है। भोपाल में 1800 करोड़ रुपए की ड्रग्स और आज फिर झबुआ में 170 करोड़ की ड्रग्स पकड़ाई गई क्या इसमें सरकार की मिलीभगत तो नहीं है? उन्होंने कहा कि जहां एक ओर झाबुआ का आदिवासी युवा पहले से ही शराब की लत से परेशान था और अब ड्रग्स से युवा पीढ़ियां बर्बादी की कगार पर पहुंच रही है और पूरी सरकार और कानून-व्यवस्था मौन बैठी हुई है।
पटवारी ने कहा कि प्रदेश का यह दुर्भाग्य है कि अन्य राज्यों की एजेंसियां, पुलिस विभाग मध्यप्रदेश में आकर इस तरह के ड्रग्स, मादक पदार्थों के कारोबार को पकड़ने के लिए कार्यवाही कर रही है, किंतु क्या कारण है कि मप्र की पुलिस को ही इस तरह के कारोबार की भनक तक नहीं लगती? मप्र सरकार की मिलीभगत और लापरवाही का ही नतीजा है कि इस तरह के कारोबार मप्र में फल-फूल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अपनी हठधर्मिता और नाकामियां छोड़ प्रदेश के विकास के बारे में सोचे, लोगों के खून-पसीने की कमाई से जमा सरकारी खजाने को खाली करके बैठी सरकार कर्ज लेकर चल रही है और युवाओं का भविष्य बर्बाद करने पर तुली हुई है। यह जनता की चुनी हुई सरकार नहीं यह माफियाओं की सरकार है और फर्ची से निकले अलोकतांत्रिक मुख्यमंत्री की सरकार है।
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