एमपी की 'लाडली बहनों' के चेहरे पर आएगी मुस्कान, खाते में आने वाली है किस्त जानें कब निकाल सकती हैं?
भोपाल. आरएसएस सरसंघ चालक मोहन भागवत ने कहा है कि समाज में कई विचारधाराएं हैं। उन्होंने कहा, हमें उन लोगों के साथ चलना चाहिए जिनकी विचारधाराएं हमसे अलग हैं। भागवत ने यह बयान मंगलवार को भोपाल में विद्या भारती के पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास सत्र के उद्घाटन सत्र में दिया।
उन्होंने कहा कि संगठन को समाज के सभी लोगों के कल्याण के लिए काम करना चाहिए, न कि केवल एक समूह या समुदाय के लिए काम करना चाहिए। भागवत ने कहा कि समाज में बदलाव लाने से पहले व्यक्ति को खुद में बदलाव लाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो हर व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करे। उन्होंने कहा कि दुनिया भारत की ओर देख रही है, इसलिए शिक्षा को मानवीय स्पर्श दिया जाना चाहिए।
भागवत के अनुसार, प्रौद्योगिकी ने हर जगह को प्रभावित किया है, इसलिए इसकी नीति मानवीय स्पर्श के साथ तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आधुनिक विज्ञान में जो गलत है, उसे छोड़ देना चाहिए। भागवत ने कहा कि समय की मांग के अनुसार बदलाव जरूरी है, लेकिन व्यक्ति को निष्क्रिय नहीं बैठना चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने विचारों की मदद से बदलाव लाता है, इसलिए उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बदलाव सकारात्मक हों।
भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताओं पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, भारत ने हमेशा सभी मनुष्यों को उनके मतभेदों के बावजूद एकजुट करने का काम किया है और हमें इस परंपरा को कायम रखना चाहिए। भटवत ने कहा कि भारतीय दर्शन ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि वह समाज का एक अविभाज्य हिस्सा है। उन्होंने कहा, इसलिए हमें इस दिशा में काम करना चाहिए।
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