एमपी की 'लाडली बहनों' के चेहरे पर आएगी मुस्कान, खाते में आने वाली है किस्त जानें कब निकाल सकती हैं?
भोपाल. मुख्यमंत्री मोहन यादव के पहले पूर्ण बजट में गौ, गीता, राम, कृष्ण, लाडली, युवा और उद्योग शामिल हैं। यह धर्म और विकास का मिश्रण है। लोकसभा चुनाव के कारण पिछले साल चार महीने के लिए अनुपूरक बजट पेश किया गया था। वास्तविक बजट केवल आठ महीने का था। इस साल सरकार ने 'नो-नेगेटिव' बजट पेश किया जिसमें लाडली बहना योजना को पेंशन और बीमा योजनाओं से जोड़ने के अलावा संतुलन बनाने का प्रयास किया गया है। इस कदम से केंद्र सरकार से सहायता के द्वार खुल गए हैं।
बजट में राज्य स्तरीय बीमा समिति गठित करने का प्रावधान रखना एक अभिनव विचार है। प्रदेश भर में आम लोगों को बीमा क्लेम प्राप्त करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए समिति सभी मामलों का समाधान करेगी, ताकि उन्हें परेशानी रहित बीमा लाभ मिल सके। उद्योगों को प्रोत्साहन देने का प्रावधान सही दिशा में उठाया गया एक और कदम है। रोजगार के लिए प्रदेश में उद्योगों का आना जरूरी है।
इसी तरह आईटीआई जैसे कौशल विकास केंद्र स्थापित करने से युवाओं को मदद मिलेगी। बजट में बुनियादी ढांचे, धार्मिक स्थलों के विकास और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रावधान करके राज्य की अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने की कोशिश की गई है। एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सरकार ने न केवल शिवराज सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं को बनाए रखा, बल्कि कई परियोजनाओं की घोषणा भी की।
कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार पुरानी पेंशन योजना को लागू करेगी और महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी करेगी। उन्हें डीए के लिए इंतजार करना होगा। लेकिन ओपीएस पर फैसला लेना भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों के दायरे से बाहर है, इसलिए कर्मचारियों को तब तक इंतजार करना होगा, जब तक केंद्र सरकार इस मुद्दे पर फैसला नहीं ले लेती।
राज्य की जनता पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कुछ राहत चाहती है, जो सरकार शराब पर टैक्स बढ़ाकर दे सकती है। हालांकि, बजट में ऐसा कोई प्रावधान न होने के कारण इस पर निर्णय के लिए उन्हें कुछ समय इंतजार करना पड़ सकता है।
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