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लोकायुक्त एसपीई जांच पर सवालिया निशान

भोपाल. सौरभ शर्मा मामले में ईडी द्वारा दाखिल चार्जशीट ने लोकायुक्त की विशेष स्थापना पुलिस (एसईपी) द्वारा की गई जांच पर सवालिया निशान लगा दिया है। दोनों जांचों में अंतर साफ है। ईडी की चार्जशीट ने सदन में सरकार के बयान पर भी सवालिया निशान लगा दिया है।

कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया द्वारा सदन में उठाए गए सवाल के जवाब में परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कहा कि लोकायुक्त की छापेमारी के दौरान शर्मा के घर या कार्यालय में कोई वाहन नहीं मिला।

इसके विपरीत ईडी की चार्जशीट में कहा गया है कि शर्मा का ड्राइवर कार को मेंडोरी ले गया था। ईडी की चार्जशीट के बाद सवाल उठ रहे हैं कि अगर कार शर्मा के घर से बाहर नहीं गई तो उसमें सोना और नकदी कहां से आई? फिर भी, ईडी शर्मा के ड्राइवर प्यारेलाल केवट का बयान दर्ज नहीं कर पाई, जो दो नोटिस के बाद भी ईडी कार्यालय नहीं गया।

अपनी जांच रिपोर्ट में ईडी ने स्पष्ट किया कि मेंडोरी में कार में मिले 11 करोड़ रुपये और 52 किलो सोना शर्मा का था। ईडी ने अपनी चार्जशीट में यह भी साबित किया कि सोने और नकदी वाली कार मेंडोरी कैसे पहुंची। प्यारेलाल का फोन आने के बाद शर्मा के रिश्तेदार विनय हसवानी ने गाड़ी अपने प्लॉट में खड़ी करवा ली।

अपनी जांच के दौरान लोकायुक्त के एसपीई ने नकदी और सोने वाली कार को दूर रखा। लोकायुक्त ने वाहन के बारे में आयकर विभाग से जानकारी मांगकर औपचारिकताएं पूरी कीं। लेकिन कॉल रिकॉर्ड और बयानों के आधार पर ईडी ने साबित कर दिया कि कार में रखा सोना और नकदी शर्मा का था।

कई सवाल अनुत्तरित

ईडी द्वारा दाखिल चार्जशीट के बाद कुछ सवाल अनुत्तरित रह गए हैं। इन सवालों के जवाब के लिए आयकर विभाग की जांच पूरी होने और लोकायुक्त एसपीई द्वारा चालान दाखिल करने तक इंतजार करना होगा।

सवाल यह है कि क्या सौरभ शर्मा ने परिवहन विभाग में काम करते हुए इतनी बड़ी रकम बनाई या फिर उनकी संपत्तियों में कुछ और लोगों का हिस्सा है। हो सकता है, ये लोग जांच के दायरे से बाहर हों। क्या शर्मा के पास सिर्फ 52 किलो सोना था या इससे ज्यादा? उसे यह सोना कहां से मिला? रातीबड़ पुलिस और आयकर विभाग को मेंडोरी में खड़ी कार के बारे में किसने सूचना दी?

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