एमपी की 'लाडली बहनों' के चेहरे पर आएगी मुस्कान, खाते में आने वाली है किस्त जानें कब निकाल सकती हैं?
भोपाल. मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज कैबिनेट विस्तार हो गया। शनिवार सुबह 8.30 बजे कैबिनेट विस्तार के दौरान मंत्रिमंडल में 3 नए चेहरे शामिल किए गए। रीवा से विधायक राजेंद्र शुक्ला और बालाघाट से विधायक व पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन और विधायक राहुल लोधी ने मंत्री पद की शपथ ग्रहण की।
एमपी इस समय मुख्यमंत्री के साथ 33 मंत्री हो गए। आंकड़ों के हिसाब से मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री समेत कुल पद 35 हैं। इसके पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रात 8 बजे राज्यपाल मंगुभाई पटेल से मुलाकात की थी। इसके बाद से ही अटकलें तेज हो गई हैं।
ये सीएम का विशेष अधिकार : शर्मा
शिवराज कैबिनेट विस्तार को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री को कैबिनेट विस्तार का विशेष अधिकार है। मुख्यमंत्री कभी भी कैबिनेट का विस्तार कर सकते हैं।
जातिगत के साथ क्षेत्रीय संतुलन साधने का प्रयास
सूत्रों की मानें तो मध्यप्रदेश में बीजेपी सरकार चुनाव से पहले कैबिनेट विस्तार के जरिए जातिगत समीकरण के साथ क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश की है। खासकर विंध्य से पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला के जरिए ब्राह्मणों को साधने का प्रयास है। विंध्य में ब्राम्हण वोटर बहुतायत में है। महाकौशल से गौरीशंकर बिसेन और लोधी समाज के साधने के लिए राहुल लोधी को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है
कांग्रेस बोली-कोई असर नहीं पड़ेगा
शिवराज कैबिनेट विस्तार की अटकलों को लेकर पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने कहा कि बीजेपी सरकार चला चली की बेला में है। कैबिनेट विस्तार का फैसला हड़बड़ाहट में लिया गया है। आचार संहिता के डेढ़ महीने पहले कैबिनेट विस्तार से कोई असर नहीं पड़ेगा। सरकार के खिलाफ जो माहौल है वो वैसा ही रहेगा। मध्यप्रदेश में जमीन पर जबरदस्त इनकंबेंसी है।
पहले भी मंत्री रह चुके हैं राजेंद्र शुक्ला
शिवराज कैबिनेट में शामिल होने जा रहे विधायक राजेंद्र शुक्ला का जन्म रीवा में 1964 को हुआ था। वह 1986 में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष बने। 2003 में विधानसभा चुनाव जीतकर राजनीति में सक्रिय भागीदारी की। वह 2008 और 2013 में फिर विधानसभा सदस्य चुने गए। हालांकि, 2013 में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ भी ली थी। 2018 में भी उन्होंने जीत हासिल की। चूंकि कांग्रेस विधायकों के सहयोग से सरकार बनने के बाद कैबिनेट में उन्हें शामिल नहीं किया गया। हालांकि, इसके पहले भी कैबिनेट विस्तार में हर बार उनका नाम चर्चा में रहा।
दो बार सांसद, 7 बार के विधायक हैं बिसेन
गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन का जन्म 01 जनवरी 1952 को बालाघाट जिले में हुआ था। 7 बार विधायक और दो बार सांसद का चुनाव जीता हैं। फिलहाल वह पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हैं। 1985 में गौरीशंकर बिसेन बालाघाट सीट से पहली बार विधायक चुने गए। वर्ष 1990 में फिर से चुने गए। 1993 उन्होंने बालाघाट से तीसरी जीत दर्ज की। 1998 में पत्नी रेखा गौरीशंकर बिसेन चुनाव लड़ी और हार गईं। जबकि गौरीशंकर बालाघाट लोकसभा सीट से 12वीं लोकसभा में सदस्य चुने गए। 2003 में बिसेन ने फिर से अपनी सीट पर वापसी की और जीत हासिल की। 2008, 2013, 2018 में भी वो विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। उनका नाम भी हर बार कैबिनेट विस्तार में चर्चा में रहा, लेकिन इस बार नाम तय माना जा रहा है।
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