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दिवालिया हो चुके बिल्डर की परियोजनाओं को पूरा करेगा हाउसिंग बोर्ड 

भोपाल. मप्र भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) द्वारा जिनमें निर्माण की समयावधि व्यतीत हो चुकी है और जिनका समय-सीमा विस्तार भी समाप्त हो चुका है, उन्हें पूर्ण कराने के लिए प्राधिकरण द्वारा अधिनियम की धारा 8 में नियमित समीक्षा की जा रही है। प्राधिकरण अध्यक्ष एवं सदस्य ने इंदौर में संभागायुक्त और जिला कलेक्टर के साथ बैठकें की हंै। प्राधिकरण के सचिव द्वारा रतलाम एवं खण्डवा जिलों में अधूरी परियोजनाओं के संबंध में चर्चा की गई है। बैठकों में ऐसी परियोजनाओं को पूरे किए जाने के लिए स्थानीय स्तर पर सघन प्रयास करने के संबंध में गहन विमर्श हुआ। हाल ही में प्राधिकरण द्वारा आकृति एक्वासिटी, आर्चिड हाइट्स एवं एस्टर सीरीज परियोजनाओं का कार्य मप्र गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल से कराने का निर्णय इसी संदर्भ में लिया गया है।

प्राधिकरण ने इन 3 परियोजनाओं में आकृति एक्वासिटी परियोजना का पंजीयन विभिन्न अनियमितताओं के कारण प्रतिसंहरित किया गया था, जबकि अन्य 2 परियोजनाएं समय-सीमा समाप्त होने से व्यपगत हो गईं थी। भू-संपदा (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 की धारा 8 में ऐसी परियोजनाएं जो व्यपगत हो गई हैं या जिनका पंजीयन प्रतिसंहरित किया गया है, प्राधिकरण के विवेकाधीन हो जाती हैं और प्राधिकरण उनके बारे में समुचित निर्णय ले सकता है। इन 3 परियोजनाओं में प्राधिकरण ने यह पाया कि प्रमोटर के द्वारा आवंटितियों से प्राप्त की गई राशि का उपयोग अधिनियम के उपबंधों के अनुसार नहीं किया गया है। इस कारण से संचालक राजीव सोनी, हेमंत सोनी, एजी8 वेन्चर्स लिमिटेड पर शास्ति अधिरोपित की गई और निर्धारित राशि परियोजना के खाते में जमा किए जाने के आदेश भी दिए गए थे।

प्राधिकरण ने प्रमोटर को तीनों परियोजनाओं के संबंध में आवंटितियों से संबंधित सारे विवरण उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया था। एजी 8 वेन्चर्स लिमिटेड के द्वारा उपलब्ध कराए गई जानकारी में अत्याधिक विसंगतियां पाई गई। प्राधिकरण ने ये भी पाया कि आकृति एक्वासिटी के लगभग 34 आवंटितियों से कोई आवंटन राशि ही प्राप्त नहीं की गयी थी, जो लगभग 12-15 करोड़ रुपए होती। पर्याप्त वित्तीय संसाधन होने के बावजूद भी एजी8 वेन्चर्स लिमिटेड द्वारा उसके विरुद्ध प्रारंभ हुई दिवालिया घोषित होने की कार्यवाही का विरोध नहीं किया। प्राधिकरण द्वारा ऐसे आवंटितियों के मामलों में सुनवाई की प्रक्रिया अभी निरंतर है। प्राधिकरण को यह विश्वास है कि उपर्युक्त परियोजनाओं की अविक्रित भूसंपत्ति एवं आवंटितियों से प्राप्त होने वाली शेष राशि से परियोजनाओं के अधूरे कार्य को मप्र गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल से पूरा कराया जा सकेगा।

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