एमपी की 'लाडली बहनों' के चेहरे पर आएगी मुस्कान, खाते में आने वाली है किस्त जानें कब निकाल सकती हैं?
नई दिल्ली। 100 से अधिक संगठनों के वैश्विक सहयोग से प्राप्त नवीनतम डेटा के अनुसार, भारत में 2024 में 18,200 हेक्टेयर प्राथमिक वन क्षेत्र नष्ट हो गया, जबकि 2023 में यह 17,700 हेक्टेयर था। ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच और यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चला है कि देश ने 2001 से अब तक 2.31 मिलियन हेक्टेयर वृक्ष क्षेत्र खो दिया है, जो इस अवधि के दौरान वृक्ष क्षेत्र में 7.1 प्रतिशत की कमी और 1.29 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य उत्सर्जन के बराबर है।
इसमें कहा गया है कि भारत ने 2002 से 2024 तक 3,48,000 हेक्टेयर आर्द्र प्राथमिक वन (5.4 प्रतिशत) खो दिया है, जो इसी अवधि के दौरान कुल वृक्ष क्षेत्र के नुकसान का 15 प्रतिशत है। देश ने 2022 में 16,900 हेक्टेयर आर्द्र प्राथमिक वन, 2021 में 18,300 हेक्टेयर, 2020 में 17,000 हेक्टेयर और 2019 में 14,500 हेक्टेयर खो दिया, जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है।
डेटासेट प्राथमिक वनों को परिपक्व प्राकृतिक आर्द्र उष्णकटिबंधीय वन क्षेत्र के रूप में परिभाषित करता है जिसे हाल के इतिहास में पूरी तरह से साफ नहीं किया गया है और फिर से उगाया नहीं गया है। जीएफडब्ल्यू शोधकर्ता प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक अलग एल्गोरिथ्म का उपयोग करके लैंडसैट उपग्रह छवियों को प्राथमिक वन डेटा में वर्गीकृत करते हैं।
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