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एक राष्ट्र, एक चुनाव के लिए आयोग तैयार

भोपाल. भारत का चुनाव आयोग संवैधानिक प्रावधानों और जनप्रतिनिधि (आरपी) अधिनियम के अनुसार कार्य करने के लिए तैयार है। यह बात मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बुधवार को एक राष्ट्र, एक चुनाव के संदर्भ में कही। कुमार और आयोग के अन्य शीर्ष अधिकारी मध्य प्रदेश में चुनाव तैयारियों पर राजनीतिक दलों, प्रशासन और प्रवर्तन एजेंसियों के साथ बैठक करने के लिए भोपाल के दौरे पर थे। यहां आगामी नवंबर में चुनाव हैं। उन्होंने कहा कि अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन पांच अक्टूबर को किया जाएगा। मप्र में लगभग 5.5 करोड़ मतदाता हैं।

एक राष्ट्र, एक चुनाव की अवधारणा के सवाल पर मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ने कहा कि चुनाव आयोग को संवैधानिक प्रावधानों और आरपी अधिनियम के अनुसार समय से पहले चुनाव कराना आवश्यक है। कानूनी प्रावधानों के मुताबिक, यह समय नई सरकार बनने के बाद संसद की पहली बैठक की तारीख से पांच साल है। कुमार ने कहा कि आयोग इस समय के खत्म होने से छह महीने पहले आम चुनावों की घोषणा कर सकता है विधानसभा चुनावों के लिए मानदंड समान हैं। उन्होंने कहा कि आयोग अनिवार्य और कानूनी प्रावधानों के अनुसार चुनाव कराने को तैयार है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के तहत एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया, जिससे एक राष्ट्र, एक चुनाव' को सुर्खियों में लाया जा सके।

ई-वोटिंग में समय लगेगा

ई-वोटिंग के बारे में एक सवाल पर सीईसी ने कहा कि इसमें समय लगेगा, क्योंकि यह प्रक्रिया हैकिंग के प्रति संवेदनशील है और इसमें विश्वास संबंधी मुद्दे भी हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी कोई मुद्दा नहीं है और मौजूदा प्रक्रिया किसी नेटवर्क से जुड़ी नहीं है, लेकिन इस पर चर्चा चल रही है और इसे विकसित होने में समय लगेगा। कुमार ने कहा कि एमपी चुनाव के लिए अंतिम मतदाता सूची 5 अक्टूबर को प्रकाशित की जाएगी और उन्होंने नए पात्र मतदाताओं से नामांकन कराने और अपने डेटा में कोई विसंगति पाए जाने पर सुधार के लिए आवेदन करने का आग्रह किया।

आनलाइन लेन—देन के दुरुपयोग पर आयोग की नगर

चुनावों से पहले ऑनलाइन लेनदेन के दुरुपयोग की संभावना को लेकर सीईसी ने कहा कि वित्तीय संस्थानों को संदिग्ध और थोक लेनदेन पर नजर रखने और संबंधित अधिकारियों को सतर्क करने के लिए कहा गया है।

मध्यप्रदेश में 5.52 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें 2.85 करोड़ पुरुष और 2.67 महिला मतदाता शामिल हैं। राज्य में 1,336 ट्रांसजेंडर व्यक्ति, 4.85 लाख विकलांग लोग, 80 वर्ष से अधिक आयु के 7.12 लाख मतदाता, 100 वर्ष से अधिक आयु के 6,180 लोग, 18.86 लाख नए मतदाता और 75,426 सेवा मतदाता हैं।

वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों को घर से मतदान की सुविधा

सीईसी कुमार ने कहा कि ईसीआई वरिष्ठ नागरिकों और विकलांग व्यक्तियों को आगामी चुनावों में अपने घरों से मतदान करने में सक्षम बनाने के लिए एक प्रणाली बना रहा है, यदि वे इसके लिए आवेदन करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मतदाता घर बैठे वोट देने के लिए ऑनलाइन फॉर्म के माध्यम से अनुरोध कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव अधिकारी ऐसे मतदाताओं के घरों का दौरा करेंगे और गोपनीयता के साथ मतदान सुनिश्चित करेंगे और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी करेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग मतदान प्रतिशत बढ़ाने और महिलाओं, नए मतदाताओं और अन्य कमजोर आदिवासी समूहों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भी प्रयास कर रहा है।

मुफ्त का मामला न्यायाधीन है

सीईसी ने चुनाव में उम्मीदवारों के वर्तमान खर्चों से जुड़े सवाल पर कहा कि जिनके नाम उनकी पार्टियों द्वारा पहले ही घोषित किए जा चुके हैं, ऐसे मामलों में कानूनी प्रावधानों के अनुसार एक उम्मीदवार को नामांकन की तारीख से मतदान के दिन तक अपने खर्चों पर नज़र रखने की आवश्यकता होती है। मुफ्त सुविधाओं के बारे में सीईसी ने कहा कि राजनीतिक दलों को मतदाताओं को यह बताने का अधिकार है कि वे मतदाताओं को क्या पेशकश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें वादे को पूरा करने की समयसीमा, उस पर होने वाले खर्च और धन की व्यवस्था के बारे में भी बताना होगा। उन्होंने कहा कि आयोग ने इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट बनाई है, लेकिन चुनाव में मुफ्त का मुद्दा न्यायालय में विचाराधीन है और मामला उच्चतम न्यायालय में पहुंच गया है। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक जेल के कैदियों को वोट देने की इजाजत नहीं है।

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