एमपी की 'लाडली बहनों' के चेहरे पर आएगी मुस्कान, खाते में आने वाली है किस्त जानें कब निकाल सकती हैं?
नई दिल्ली. हार के जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं। 90 के दशक की मशहूर फिल्म 'बाजीगर' का मशहूर डायलॉग है। शनिवार को दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे कांग्रेस के संदीप दीक्षित का चुनावी प्रदर्शन कुछ हद तक फिल्म की कहानी जैसा ही है, जिसमें शाहरुख खान द्वारा निभाया गया मुख्य किरदार अपने पिता की मौत का बदला लेने के इरादे से एक रेस हार गया।
संदीप दीक्षित 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में असली 'बाजीगर' साबित हुए। भले ही वे नई दिल्ली विधानसभा सीट नहीं जीत पाए, लेकिन आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का खेल बिगाड़ दिया।
केजरीवाल को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार प्रवेश वर्मा ने 4,000 से ज़्यादा वोटों के अंतर से हराया। दीक्षित ने 2013 के दिल्ली चुनावों में अपनी मां की हार का 'बदला' लिया। गौरतलब है कि 2013 में नई दिल्ली सीट से शीला दीक्षित केजरीवाल से हार गई थीं और इसी के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कांग्रेस के 15 साल के शासन का अंत हो गया था।
केजरीवाल को 4,089 वोटों के अंतर से हराया गया, जो कांग्रेस उम्मीदवार को मिले वोटों के लगभग बराबर है। संदीप दीक्षित को 4,568 वोट मिले। अगर 2013 में नई दिल्ली सीट के नतीजों पर नज़र डालें तो केजरीवाल ने शीला दीक्षित को 25,000 से ज़्यादा वोटों के अंतर से हराया था। आप प्रमुख को 44,269 वोट मिले थे, जबकि शीला दीक्षित को 18,405 वोट मिले थे। केजरीवाल ने 2015 और 2020 में भी सीट बरकरार रखी।
2025 के चुनावों में, भाजपा के वर्मा और आप प्रमुख के बीच कड़ी टक्कर थी। वर्मा को 30,088 वोट मिले और केजरीवाल को 25,999 वोट मिले। भाजपा ने हाई-ऑक्टेन चुनावों में शानदार जीत दर्ज की। भगवा पार्टी ने 27 साल बाद दिल्ली में वापसी की। भाजपा ने 48 सीटें हासिल कीं, जबकि केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी अपने 2015 और 2020 के चुनावी प्रदर्शन को दोहराने में विफल रही और केवल 22 सीटों पर ही सिमट गई।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत खराब रहा, क्योंकि उसका कोई भी उम्मीदवार जीत नहीं सका। भाजपा का पूरा चुनाव अभियान आप सरकार के 10 साल के कार्यकाल के दौरान कथित भ्रष्टाचार पर केंद्रित रहा, जिसमें शराब घोटाला और 'शीशमहल' का मामला भी शामिल था।
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