एमपी की 'लाडली बहनों' के चेहरे पर आएगी मुस्कान, खाते में आने वाली है किस्त जानें कब निकाल सकती हैं?
लददाख. सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि विश्वास सबसे बड़ी क्षति है। उन्होंने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ स्थिति को स्थिर बताया, लेकिन यह सामान्य नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वे अप्रैल 2020 से पहले की जमीनी स्थिति की बहाली चाहते हैं। मणिपुर की स्थिति पर उन्होंने कहा कि किसी भी ड्रोन बम का इस्तेमाल नहीं किया गया और कुछ दावों के विपरीत 900 राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा घुसपैठ नहीं की गई।
आज ज़मीन पर स्थिति स्थिर है, लेकिन यह सामान्य नहीं है और यह संवेदनशील है। हम चाहते हैं कि अप्रैल 2020 में जो स्थिति थी, उसे बहाल किया जाए, चाहे वह ज़मीन पर कब्ज़ा हो, स्थिति हो, बफर ज़ोन बनाया गया हो या गश्त की योजना बनाई गई हो। जब तक यह बहाल नहीं हो जाता, जहां तक हमारा सवाल है, स्थिति संवेदनशील बनी रहेगी और हम किसी भी आकस्मिकता का सामना करने के लिए परिचालन रूप से तैयार हैं... और पूरे परिदृश्य में हम देखते हैं कि विश्वास सबसे बड़ी क्षति है। जनरल द्विवेदी ने यह बात सेना और सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित चाणक्य रक्षा वार्ता के पर्दा उठाने वाले कार्यक्रम में कही।
सेना प्रमुख ने कहा, जहां तक चीन का सवाल है, यह काफी समय से हमारे दिमाग में कौंध रहा है। चीन के साथ आपको प्रतिस्पर्धा, सहयोग, सह-अस्तित्व, टकराव और मुकाबला करना होगा। दोनों देशों के बीच दो शेष घर्षण क्षेत्रों में गतिरोध को दूर करने पर चल रही बातचीत की बात करते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि जब जमीन पर निष्पादन की बात आती है तो यह जमीनी कमांडरों पर निर्भर करता है। उन्होंने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप पुनर्ग्रहण का जिक्र करते हुए चीन द्वारा ‘ग्रे जोन’ रणनीति का भी जिक्र किया।
इस पर विस्तार से बताते हुए जनरल द्विवेदी ने कहा, क्या हम डोकलाम को युद्ध कहते हैं? क्या हम कारगिल को पूर्ण युद्ध कहते हैं? क्या हम गलवान को युद्ध कहते हैं? इसका जवाब है नहीं। तो ये सभी मूलरूप से ग्रे जोन लड़ाई का हिस्सा हैं। इसलिए हमें इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है।
उन्होंने आगे कहा कि जहां तक विचार प्रक्रिया का सवाल है, दोनों सीओ यानी कमांडिंग ऑफिसर और आर्मी चीफ को एक ही पेज पर होना चाहिए। इसका मतलब है कि पूरे स्तर पर एक जैसी सोच होनी चाहिए, क्योंकि एक छोटी सी सामरिक गलत कार्रवाई एक रणनीतिक प्रभाव को जन्म देगी, जिसमें पूरा देश शामिल हो सकता है। उन्होंने कहा, इसलिए इसे ध्यान में रखते हुए हम खुद को ग्रे जोन की लड़ाई के लिए तैयार कर रहे हैं। इसलिए सभी क्षेत्रों में हमें खुद को तैयार करने की जरूरत है।
रूस में इस महीने के अंत में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले देपसांग और डेमचोक से सैनिकों को पीछे हटाने के लिए बातचीत में संभावित सफलता की उम्मीद है। 12 सितंबर को जिनेवा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि लगभग 75% सैनिकों को पीछे हटाने की समस्याओं का समाधान हो गया है। उन्होंने कहा, हमें अभी भी कुछ काम करने हैं। उन्होंने आगे कहा कि एक बड़ा मुद्दा यह है कि हम दोनों ने अपनी सेनाओं को एक—दूसरे के करीब ला दिया है और इस लिहाज से सीमा का सैन्यीकरण हो रहा है।
पिछले कुछ महीनों में विदेश मंत्री और एनएसए स्तर पर कई उच्च स्तरीय राजनीतिक बैठकें हुई हैं। दो दौर की कूटनीतिक स्तर की वार्ता हो चुकी है और अगले दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता होनी है। 2020 में कोर कमांडर स्तर की वार्ता के बाद से दोनों पक्षों ने अब तक पांच घर्षण बिंदुओं से वापसी की है, जून 2020 में हिंसक झड़प के बाद गलवान से फरवरी 2021 में पैंगोंग त्सो के उत्तर और दक्षिण तट से, अगस्त 2021 में गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट (पीपी) 17 से और सितंबर 2022 में पीपी 15 से। पीपी 15 से अंतिम वापसी 17 जुलाई, 2022 को आयोजित कोर कमांडर स्तर की सैन्य वार्ता के 16वें दौर के दौरान बनी समझ का परिणाम थी।
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