एमपी की 'लाडली बहनों' के चेहरे पर आएगी मुस्कान, खाते में आने वाली है किस्त जानें कब निकाल सकती हैं?
नई दिल्ली. आधिकारिक जी20 शिखर सम्मेलन के निमंत्रणों पर पारंपरिक भारत के राष्ट्रपति के बजाय भारत के राष्ट्रपति के उपयोग ने सियासी हलचल मचा दी है। संसद के विशेष सत्र से कुछ दिन पहले उठाए गए इस कदम ने राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है।
दरअसल, भारत का उपयोग विदेशी प्रतिनिधियों के लिए बनाई गई G20 पुस्तिका में भी किया गया है, जिसका शीर्षक है -भारत, लोकतंत्र की जननी। पुस्तिका में कहा गया है कि भारत देश का आधिकारिक नाम है। इसका उल्लेख संविधान और 1946-48 की चर्चाओं में भी है।
यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर नामकरण में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है, क्योंकि देश अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और अन्य शीर्ष विश्व नेताओं की मेजबानी के लिए तैयार है।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रधानमंत्री की इंडोनेशिया यात्रा पर एक दस्तावेज़ भी साझा किया, जिसमें उन्हें भारत का प्रधानमंत्री कहा गया था। 9 और 10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन में भारतीय अधिकारियों के पहचान पत्र पर भी अब 'भारत-आधिकारिक' लिखा होगा।
सूत्रों की मानें तो सरकार 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र में देश का नाम बदलने का प्रस्ताव रख सकती है। हालांकि, सरकार ने विशेष सत्र के लिए किसी भी एजेंडे की घोषणा नहीं की है, इससे इसको लेकर अटकलें बढ़ गई हैं। उधर, इस कदम की विपक्ष ने तीखी आलोचना की। विपक्षी इंडिया के सदस्यों ने नरेंद्र मोदी सरकार पर इतिहास को विकृत करने और भारत को विभाजित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने सरकार के कदम को अपने गठबंधन के गठन से जोड़ा। आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने पूछा कि अगर विपक्षी गठबंधन खुद को भारत कहने का फैसला करता है, तो क्या सत्तारूढ़ दल देश का नाम बदलकर बीजेपी कर देगा।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि किसी को भी देश का नाम बदलने का अधिकार नहीं है। राकांपा प्रमुख ने कहा कि मुझे समझ नहीं आता कि सत्तारूढ़ दल देश से संबंधित एक नाम (इंडिया गठबंधन) को लेकर क्यों परेशान है। हालांकि, भाजपा नेताओं ने भारत नामकरण का स्वागत किया और विपक्ष पर राष्ट्र-विरोधी और संविधान-विरोधी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भारत शब्द संविधान के अनुच्छेद 1 में भी है, जो कहता है: इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा।
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत शब्द का इस्तेमाल करने का फैसला औपनिवेशिक मानसिकता के खिलाफ एक बड़ा बयान है। यह पहले ही हो जाना चाहिए था। इससे मुझे बहुत संतुष्टि मिलती है। भारत हमारा परिचय है और हमें इस पर गर्व है। राष्ट्रपति ने भारत को प्राथमिकता दी है।
गौरतलब है कि यह विवाद भाजपा के वैचारिक संरक्षक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख के उस सुझाव के ठीक दो दिन बाद शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने देश को इंडिया छोड़कर भारत अपनाने का सुझाव दिया था। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, हमें इंडिया शब्द का इस्तेमाल बंद करना चाहिए और भारत का इस्तेमाल शुरू करना चाहिए। आप दुनिया में जहां भी जाएं, भारत देश का नाम भारत ही रहेगा। मौखिक और लिखित में भारत ही कहना होगा।
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