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नए निवेश में यूपी की लंबी छलांग, गुजरात को पीछे छोड़ टॉप पर

नई दिल्ली/लखनउ. वर्ष 2022—23 में कुल बैंक सहायता प्राप्त निवेश प्रस्तावों में से आधे से अधिक उत्तर प्रदेश सहित देश के पांच राज्यों से हैं। आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022—23 में 547 परियोजनाओं को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से मदद मिली है। कुल परियोजना लागत रिकार्ड 2,66,547 करोड़ रही है, जबकि 2021—22 के दौरान 1,41,976 करोड़ लागत वाली 401 परियोजनाओं को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से मदद मिली है। 

आरबीआई टीम के सर्वे में कहा गया है कि 2022—2023 में 87.7 फीसदी की वृद्धि हुई है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं की अनुमानित कुल लागत 2014—15 के बाद से 2022—23 के दौरान नए शिखर पर पहुंच गई है।

टॉप—5 राज्यों में 57.2 फीसदी योगदान

यूपी, गुजरात, ओडिशा, महाराष्ट्र और कर्नाटक ने 2022—23 के दौरान कुल परियोजना लागत में 57.2 फीसदी हिस्सेदारी यानी 2,01,700 करोड़ रुपए का योगदान दिया है। आरबीआई के अध्ययन में कहा गया है कि 2021—22 के दौरान हिस्सेदारी 43.2 फीसदी से अधिक है। परियोजनाओं की कुल लागत में यूपी और ​ओडिशा की हिस्सेदारी में पिछले वर्ष के साथ—साथ 2013—14 से 2020—21 की अवधि के दौरान दर्ज की गई औसत हिस्सेदारी में काफी सुधार हुआ है। 

नए निवेश में टॉप 5 स्टेट

  1. उत्तर प्रदेश— 16.2 फीयदी यानी 43,180 करोड़ रुपए
  2. गुजरात 14 फीसदी यानी 37,317 करोड़
  3. ओडिशा 11.8 फीसदी
  4. महाराष्ट्र 7.9 फीसदी
  5. कर्नाटक 7.3 फीसदी

ये राज्य सबसे नीचे

बैंक सहायता प्राप्त परियोजनाओं में केरल, गोवा, असम सबसे कम नए निवेश प्राप्त करने की सूची में सबसे नीचे हैं। हालांकि, केरल में 0.9 फीसदी यानी 2399 करोड़ रुपए, असम को 0.7 फीसदी और गोवा को 0.8 फीसदी मिला है। ​हालांकि, इस सत्र में हरियाणा और पश्चिम बंगाल भी कई निवेश परियोजनाएं प्राप्त करने में विफल रहे हैं।  

मंदी के बावजूद यूपी की बड़ी छलांग 

यूपी को ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था वाला स्टेट बनाने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोशिशें दिखने लगी हैं। निजी निवेश, अंत्योदय के संकल्प के साथ करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से बाहर लाकर मुख्यधारा में शामिल करने, हर सेक्टर में योगी सरकार की नियोजित कोशिशें नए यूपी की तस्वीर पेश कर रही हैं। आंकड़ों देखें तो कोविड- 19 के कारण बीते 2-3 वर्ष पूरे विश्व और देश में आर्थिक मंदी रही, इसके बावजूद, यूपी की अर्थव्यवस्था अपनी ग्रोथ को बनाए रखने में सफल रही। वित्तीय वर्ष 2020-21 में जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) 16,45,317 करोड़ रुपये थी, जो 2021-22 में लगभग 20% की बढ़ोतरी के साथ 19,74,532 करोड़ रुपये हो गई है। 2022-23 के लिए तैयार अग्रिम अनुमानों के आधार पर राज्य आय 21.91 लाख करोड़ रुपये से आंकलित हुई है।
 
2022-23 में राज्य को 21.91 लाख करोड़ आय होने का है अनुमान

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अगस्त 2023 के बुलेटिन के अनुसार, बैंक व अन्य वित्तीय संस्थाओं से फंड आकर्षित करने के लिहाज से 16.2% निवेश में हिस्सेदारी के साथ उत्तर प्रदेश देश में शीर्ष स्थान पर है. आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि वित्तीय वर्ष 2013-14 के 1.1% के सापेक्ष 15 गुना बढ़कर 2022-23 में यूपी ने बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थाओं से फंड जुटाने में 16.2% की वृद्धि दर्ज की है. 

आयकर रिटर्न फाइल करने में भी यूपी अव्वल

आयकर रिटर्न फाइल करने की संख्या के पैमाने पर भी उत्तर प्रदेश देश में दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। जून 2014 में जहां 1.65 लाख आयकर रिटर्न यूपी से फाइल होते थे, वहीं, इनकी संख्या जून 2023 में बढ़कर 11.92 लाख हो गई है।

यूपी रेवेन्यू में भी सरप्लस स्टेट

कभी बीमारू राज्य का तमगा लिए उत्तर प्रदेश आज रेवेन्यू सरप्लस राज्य हो गया है। वर्ष 2016-17 में राज्य का कर राजस्व 86 हजार करोड़ रुपए था, जो वर्ष 2021-22 में 01 लाख 47 हजार करोड़ रुपए से अधिक (71% वृद्धि) तक पहुंच गया। वर्ष 2016-17 सेल्स टैक्स/वैट लगभग 51,883 करोड़ रुपए था, जो वर्ष 2022-23 में 125 करोड़ रुपये के पार रहा. यहां महत्वपूर्ण यह भी है कि उत्तर प्रदेश में पेट्रोल—डीजल और एटीएफ वैट दर कई राज्यों से कम है और मई 2022 के बाद दरों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। वर्ष 2022-23 एफआरबीएम एक्ट में राजकोषीय घाटे की निर्धारित सीमा 4.0 फीसदी के सापेक्ष 3.96% रखने में सफलता हासिल हुई है। आंकड़ों की मानें तो यूपी में पूर्व में बजट का लगभग 8% ऋणों के ब्याज के लिए खर्च होता था जो वर्ष 2022-23 बजट में 6.5% पर आ गया है। जाहिर है बगैर अर्थव्यवस्था मजबूत हुए ऐसा होना संभव नहीं।

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