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जब 1500 साल पुराने गांव को बता दिया वक्फ प्रॉपर्टी

नई दिल्ली. केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पेश किया, जिसका विपक्षी सांसदों ने विरोध किया और इसे कठोर और धार्मिक आधार पर देश को विभाजित करने का प्रयास बताया। सरकार ने विपक्ष के वक्फ संपत्तियों को विनियमित करने में बड़ा हाथ होने के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि वक्फ बोर्ड माफिया द्वारा कब्जा कर लिया गया था और यह किसी भी धार्मिक निकाय की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं करता है। विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम करने का प्रस्ताव है, और इसका उद्देश्य एक केंद्रीय पोर्टल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करना है।

संसद में संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने तिरुचिरापल्ली के तिरुचेंथुरई गांव की घटना पर प्रकाश डाला। रिजिजु ने कहा, हिंदू आबादी वाले 1500 साल पुराने इस गांव को ही वक्फ संपत्ति घो​षित कर दिया था। ग्रामीण को जब इसका पता चला तो वे हैरान रह गए। उन्हें समझ नहीं आया उनकी हजारों साल पुरानी पैतृक संपत्ति वक्फ प्रॉपर्टी कैसे बन गई। वक्फ बोर्ड के पास जमीन से जुड़ा सबूत नहीं था, मगर गांव पर उसका मालिकाना हक था। तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के तिरुचेंथुरई गांव का मामला पहली बार 2022 में सुर्खियों में आया। कावेरी नदी के तट पर बसे तिरुचेंथुरई गांव के एक शख्स राजगोपाल अपनी बेटी की शादी के लिए 1.2 एकड़ जमीन बेचने का फैसला किया। जब वह सब रजिस्ट्रार के दफ्तर में पहुंचा तो उसे जमीन बेचने के लिए वक्फ बोर्ड से एनओसी लाने की सलाह दी गई। उसे बताया गया कि गांव की जमीन पर वक्फ बोर्ड का मालिकाना हक है, इसलिए एनओसी लेना जरूरी है। बिना एनओसी जमीन नहीं बेच सकेगा। राज खुलते ही हंगामा बरप गया। गांव वालों ने इसकी शिकायत कलेक्टर से की और कहा कि उनकी गांव का इतिहास 1500 साल से भी पुराना है, ऐसे में यह वक्फ की प्रॉपर्टी नहीं हो सकती है। हिंदू बाहुल्य इस गांव में मुस्लिम आबादी का इतिहास भी नहीं रहा।

विवाद बढ़ने पर वक्फ बोर्ड ने दलील दी कि रानी मंगम्मल के अलावा कई स्थानीय राजाओं ने तिरुचेंथुरई की जमीन वक्फ बोर्ड को गिफ्ट में दिया था। वक्फ बोर्ड ने 220 पेज का दस्तावेज भी तैयार किया। मामला पेचीदा होने पर जिला प्रशासन ने मामले की जांच शुरू की। 1500 साल पुराने मनेंडियावल्ली समेथा चंद्रशेखर स्वामी के मंदिर में लिखा शिलालेख सामने आया। मंदिर की दीवारों पर लिखा था कि गांव की कई एकड़ जमीन मंदिर की है। इसके बाद ग्रामीणों का दावा मजबूत हुआ। वक्फ बोर्ड के खाते में गांव की जमीन कब और कैसे पहुंची, इसका कोई साक्ष्य नहीं मिला। जब यह मामला सुर्खियों में आया तो वक्फ बोर्ड अधिनियम में बदलाव की मांग उठी। इसके बाद देश के कई हिस्सों में दावा किया गया कि सरकारी और निजी जमीन को वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दी गई है।

विपक्ष ने कहा कि विधेयक अल्पसंख्यकों के खिलाफ

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह विधेयक कठोर और संविधान पर मौलिक हमला है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक समुदायों के बीच धार्मिक विभाजन और नफरत पैदा करेगा। उन्होंने कहा, हर मस्जिद में विवाद है, जहां कोई दस्तावेज नहीं है। आपका मूल विचार समुदायों के बीच संघर्ष और गुस्सा पैदा करना और हर जगह हिंसा करना है। वेणुगोपाल ने वक्फ बिल को महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनावों से जोड़ा। कांग्रेस नेता ने कहा, यह बिल संविधान पर एक बुनियादी हमला है। इस बिल के जरिए वे यह प्रावधान कर रहे हैं कि गैर-मुस्लिम भी वक्फ गवर्निंग काउंसिल के सदस्य होंगे। इस बिल को धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताते हुए वेणुगोपाल ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा, इसके बाद आप ईसाइयों और फिर जैनियों के लिए जाएंगे। भारत के लोग अब इस तरह की विभाजनकारी राजनीति को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम हिंदू हैं, लेकिन साथ ही, हम दूसरे धर्मों की आस्था का भी सम्मान करते हैं। यह बिल महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों के लिए खास है। आप यह नहीं समझते कि पिछली बार भारत के लोगों ने आपको स्पष्ट रूप से सबक सिखाया था। उन्होंने आगे कहा, यह संघीय व्यवस्था पर हमला है।

डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा कि विधेयक अनुच्छेद 30 का उल्लंघन करता है, जो अल्पसंख्यकों को उनके संस्थानों का प्रशासन करने से संबंधित है। उन्होंने कहा, यह विधेयक एक विशेष धार्मिक समूह को लक्षित करता है। एनसीपी में अपने पिता शरद पवार के गुट का प्रतिनिधित्व करने वाली सुप्रिया सुले ने मांग की कि विधेयक को या तो वापस ले लिया जाना चाहिए या स्थायी समिति को भेज दिया जाना चाहिए। उन्होंने केंद्र पर कटाक्ष करते हुए कहा, कृपया बिना परामर्श के एजेंडा न थोपें। एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक का विरोध किया और कहा कि उन्हें नमाज पढ़ने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा, यह विधेयक न्यायपालिका के सभी सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। सरकार वक्फ बोर्ड के प्रबंधन को प्रतिबंधित कर रही है। हिंदू बोर्ड को प्रथा और रीति-रिवाज से पहचाना जाता है। आप मुझे नमाज पढ़ने से रोक रहे हैं। सरकार को मुस्लिम विरोधी बताते हुए ओवैसी ने कहा, एक हिंदू अपनी पूरी संपत्ति दे सकता है, लेकिन मैं इसे अल्लाह के नाम पर नहीं दे सकता। हिंदू बोर्ड या गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। बिल में प्रस्तावित अन्य प्रमुख बदलावों में सेंट्रल वक्फ काउंसिल और राज्य वक्फ बोर्ड का गठन शामिल है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व होगा। अगर प्रस्तावित बिल लागू होता है, तो जिला कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार होगा कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या सरकारी जमीन।

बिल भेदभावपूर्ण नहीं, केंद्र ने किया खंडन

रिजिजू ने कहा कि बिल किसी भी धार्मिक संगठन की स्वतंत्रता में किसी भी तरह के हस्तक्षेप की वकालत नहीं करता है। उन्होंने कहा, किसी के अधिकार छीनने की बात तो भूल ही जाइए, यह बिल उन लोगों को अधिकार देने के लिए लाया गया है, जिन्हें कभी अधिकार नहीं मिले। उन्होंने कहा, आज लाया जा रहा यह बिल सच्चर समिति की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसे आपने (कांग्रेस ने) बनाया था। उन्होंने कहा कि पक्षपातपूर्ण राजनीति के कारण मुसलमानों को गुमराह किया जा रहा है। भारत में मुसलमानों की आर्थिक और शैक्षिक स्थिति को लेकर 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सामाजिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों का अध्ययन करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में सात सदस्यीय उच्च स्तरीय पैनल का गठन किया था। रिजिजू ने कहा कि वक्फ बोर्ड पर माफिया का कब्जा है और सरकार को सौ से अधिक भूमि हड़पने की शिकायतें मिली हैं। केंद्रीय मंत्री और जेडी(यू) सदस्य राजीव रंजन सिंह ने विपक्षी सदस्यों के आरोपों का जवाब दिया और स्पष्ट किया कि विधेयक मुस्लिम विरोधी नहीं है। उन्होंने कहा कि विधेयक समावेशी है और धार्मिक विभाजन को बढ़ावा नहीं देता है। उन्होंने कहा, यह कानून पारदर्शिता लाने के लिए बनाया जा रहा है। विपक्ष इसकी तुलना मंदिरों से कर रहा है। वे मुख्य मुद्दे से ध्यान भटका रहे हैं। केसी वेणुगोपाल को बताना चाहिए कि हजारों सिख कैसे मारे गए। किस टैक्सी ड्राइवर ने इंदिरा गांधी को मारा? अब वे अल्पसंख्यकों की बात कर रहे हैं।

जेडी(यू) के अलावा भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के प्रमुख सहयोगी टीडीपी ने वक्फ विधेयक का समर्थन किया और कहा कि सुधार लाना और उद्देश्य को सुव्यवस्थित करना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को विधेयक को प्रवर समिति को भेजने में कोई समस्या नहीं है।

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