एमपी की 'लाडली बहनों' के चेहरे पर आएगी मुस्कान, खाते में आने वाली है किस्त जानें कब निकाल सकती हैं?
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अनधिकृत निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए वह जो दिशा-निर्देश बनाएगा, वह पूरे भारत में और सभी धर्मों के लिए लागू होगा। कोर्ट ने कहा कि वह यह स्पष्ट करेगा कि केवल इसलिए कि कोई व्यक्ति आरोपी है या दोषी है, यह संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार नहीं हो सकता। बेंच ने यह भी कहा, अदालत के आदेश की अवमानना पर एक्शन होगा। पीड़ितों की संपत्ति वापस की जाएगी, जिसका मुआवजा भी दोषी अधिकारियों से वसूला जाएगा।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा- हम पर एक समुदाय विशेष के खिलाफ बुलडोजर एक्शन किए जाने के आरोप लगे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर साफ किया कि बुलडोजर एक्शन पर रोक तो रहेगी, लेकिन इसमें अवैध अतिक्रमण शामिल नहीं होगा। सड़क, रेल लाइन, मंदिर या दरगाह, जहां अतिक्रमण हटाया जाएगा। हमारे लिए जनता की सुरक्षा ही प्राथमिकता है।
जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, हम जो भी दिशा-निर्देश बना रहे हैं, हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। हम इसे सभी नागरिकों, सभी संस्थानों के लिए बना रहे हैं, किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं। पीठ ने कहा कि वह अतिक्रमण और फुटपाथों पर अव्यवस्था को बढ़ावा नहीं दे रही है।
सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें आरोप लगाया गया है कि अपराध के आरोपियों सहित अन्य की संपत्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है। अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वे इस मामले पर लिखित दलीलें देंगे।
इससे पहले 17 सितंबर को अदालत ने 15 दिनों के लिए तोड़फोड़ पर रोक लगा दी थी। एक अंतरिम आदेश में अदालत ने निर्देश दिया कि किसी व्यक्ति की संपत्ति को उसकी अनुमति के बिना सिर्फ इसलिए नहीं तोड़ा जाना चाहिए क्योंकि उस पर अपराध में शामिल होने का आरोप है। पीठ ने स्पष्ट किया था कि यह निर्देश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों या जल निकायों पर अनधिकृत निर्माण को हटाने पर लागू नहीं होगा।
Comments
Add Comment