एमपी की 'लाडली बहनों' के चेहरे पर आएगी मुस्कान, खाते में आने वाली है किस्त जानें कब निकाल सकती हैं?
नई दिल्ली. देश के दो महत्वपूर्ण राज्य हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की स्थिति साफ हो चुकी है। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन 15 साल बाद सरकार बनाने जा रहा है। वहीं हरियाणा में भाजपा ने हैट्रिक लगाते हुए एतिहासिक जीत हासिल की है। हरियाणा के गठन के बाद से अब तक कोई पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार नहीं बना सकी है।
दरअसल, लोकसभा चुनाव में भाजपा को 240 सीटें मिली थीं, जो 2019 के आम चुनाव में 303 सीटों से 63 कम है। यह भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था। कहा जा रहा था कि भाजपा का ग्राफ उतार रहा है, लेकिन हरियाणा की जीत से पार्टी को जबर्दस्त बूस्ट मिला है। इसका असर अगले 3 महीने में होने वाले महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में भी दिखाई दे सकता है। महाराष्ट्र विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 26 नवंबर 2024 और झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को खत्म हो रहा है। निर्वाचन आयोग दशहरे के बाद कभी भी महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। 6 राज्यों की 28 सीटों पर उपचुनाव का ऐलान भी साथ में हो सकता है।
महाराष्ट्र: लोकसभा चुनाव में भाजपा 23 से 9 पर सिमटी, मराठा आरक्षण सबसे बड़ी चुनौती है। महाराष्ट्र में महायुति यानी शिवसेना, भाजपा और एनसीपी अजित पवार गुट की सरकार है। एंटी इन्कंबेंसी और 6 बड़ी पार्टियों के बीच बंटने वाले वोट को साधना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती होगी। 2024 लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटों में इंडी गठबंधन को 30 और एनडीए को 17 सीटें मिलीं।। इनमें बीजेपी को 9, शिवसेना को 7 और एनसीपी को सिर्फ 1 सीट मिली। भाजपा को 23 सीटों का नुकसान हुआ। 2019 लोकसभा चुनाव से एनडीए को 41 सीटें मिली थीं। 2014 में यह आंकड़ा 42 था। यह आंकड़ा आधे से भी कम में पहुंच गया। वैसे देखा जाए तो 2024 लोकसभा चुनाव के हिसाब से भाजपा 60 सीटों के आसपास सिमट सकती है। विपक्षी गठबंधन के एक सर्वे में राज्य की 288 सीटों पर महाविकास अघाड़ी को 160 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। भाजपा के लिए मराठा आंदोलन सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अलावा शिवसेना और एनसीपी में तोड़फोड़ के बाद उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ लोगों की सिंपथी है।
झारखंड: संताल परगना और कोल्हान प्रमंडल की 32 सीटों को भेदना सबसे बड़ी चुनौती। झारखंड में महागठबंधन यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व वाली सरकार है। इसमें कांग्रेस, राजद और वाम दल शामिल हैं। भाजपा को झारखंड में सरकार बनाने के लिए संताल परगना और कोल्हान प्रमंडल की 32 सीटों पर फोकस करना होगा। संताल परगना की 18 विधानसभा सीटों में से सिर्फ तीन सीटें अभी भाजपा के पास है। पिछले चुनाव में कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों पर तो भाजपा का खाता भी नहीं खुल पाया। जमशेदपुर पूर्वी से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी हार का सामना करना पड़ा। जनवरी में भ्रष्टाचार के मामले में सीएम पद से इस्तीफा देकर हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा। हालांकि, जमानत मिलने के बाद वे बाहर आए और चंपई सोरेन से 156 दिन में सीएम का पद वापस ले लिया। इसके बाद चंपई भाजपा में शामिल हो गए। झारखंड आंदोलन में शिबू सोरेन के साथी रहे चंपई को कोल्हान टाइगर भी कहा जाता है।
दिल्ली: अगला नाम दिल्ली का है, जहां विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को खत्म होगा। दिल्ली में पिछले 10 साल से आम आदमी पार्टी (आप) सत्ता में है। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नवंबर में चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं। शराब नीति घोटाले में 13 सितंबर को जमानत के बाद उन्होंने 17 सितंबर को सीएम पद से इस्तीफा दिया था। यहां आप के मजबूत किले को भेदना भाजपा के लिए बेहद मुश्किल है, क्योंकि पिछले दो चुनाव में केजरीवाल की पार्टी ने लगभग क्लीन स्वीप कर दिया था। दिल्ली में पिछले 10 साल से आप की सरकार है। केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से आपऔर भाजपा के बीच एलजी के जरिए तकरार होती रहती है। भाजपा आप पर भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर हावी है। शराब नीति घोटाले में सीएम, डिप्टी सीएम समेत कई नेता जेल में रहे। भाजपा इसी मुद्दे को भुनाना चाहती है। साथ ही एंटी इन्कम्बेंसी भी एक फैक्टर रहेगा।
6 राज्यों की 28 सीटें, जहां उप-चुनाव होंगे
विधानसभा उपचुनाव की जहां तक बात है, तो उत्तर प्रदेश में 10, राजस्थान में 6, पंजाब में 5, बिहार में 4, मध्य प्रदेश में 2 और छत्तीसगढ़ में एक सीट पर उपचुनाव होना है। इनमें से पंजाब छोड़कर सभी जगह भाजपा सत्ता में है। लिहाजा एंटी इन्कम्बेंसी फैक्टर से लड़ने के साथ कैंडिडेट का लोकल कनेक्ट ही चुनाव नतीजे तय करेगा।
2024 में लोकसभा के साथ 4 राज्यों-आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा के चुनाव हुए। लोकसभा में भाजपा अकेले बहुमत का आंकड़ा तो पार नहीं कर पाई, लेकिन सहयोगियों के दम पर रिकॉर्ड लगातार तीसरी बार सरकार बनाई। मोदी पहले गैर कांग्रेसी चेहरे हुए जो तीसरी बार पीएम बने। वहीं, आंध्रप्रदेश में टीडीपी के साथ भाजपा ने सरकार बनाई। चंद्रबाबू नायडू मुख्यमंत्री बने। ओडिशा में पहली बार भाजपा ने पूर्ण बहुमत के साथ मोहन चंद्र माझी के नेतृत्व में सरकार बनाई। अरुणाचल में भाजपा ने लगातार तिसरी बार सरकार बनाई। सिक्किम में सत्ताधारी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने सरकार बनाई।
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