एमपी की 'लाडली बहनों' के चेहरे पर आएगी मुस्कान, खाते में आने वाली है किस्त जानें कब निकाल सकती हैं?
नई दिल्ली. हर हिंदुस्तानी का सीना गर्व से चौड़ा करने और मस्तक ऊंचा करने का समय है। आखिरकार हिंदुस्ताान के बहुप्रतीक्षित मिशन चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट-लैंडिंग सफल हो ही गई। इस अभूतपूर्व और अप्रतिम उपलब्धि के साथ हिंदुस्ताान ने इतिहास रच दिया है। पृथ्वी के नैचुरल सैटेलाइट (चंद्रमा) के इस हिस्से में उतरने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है, क्योंकि अब तक जितने भी मिशन चंद्रमा पर गए हैं, वे चंद्र भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में कुछ डिग्री अक्षांश पर उतरे हैं। ब्रह्मांड के इस हिस्से में भारत का परचम लहराने से वैज्ञानिकों ही नहीं, देशभर की आम जनता के बीच भी भारी उत्साह देखा जा रहा है और सॉफ्ट-लैंडिंग से वाकिफ हर भारतीय का चेहरा खुशी से दमक उठा है।
;Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 22, 2023
The mission is on schedule.
Systems are undergoing regular checks.
Smooth sailing is continuing.
The Mission Operations Complex (MOX) is buzzed with energy & excitement!
The live telecast of the landing operations at MOX/ISTRAC begins at 17:20 Hrs. IST… pic.twitter.com/Ucfg9HAvrY
दरअसल चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग से जहां भारत का स्पेस पावर के रूप में उभर कर सामने आया है, वहीं ISRO का दुनिया की अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों के मुकाबले कद कहीं ऊंचा हो गया है। देशवासी ISRO के वैज्ञानिकों को बधाई दे रहे हैं और उनके काम की जमकर सराहना कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर शुभकामनाओं और बधाई संदेशों का तांता लगा है। देशभर में जश्न के माहौल है।
चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट-लैंडिंग
चंद्रयान-3 की लैंडिंग को लेकर चर्चा और सरगर्मी 14 जुलाई को लॉन्च के साथ शुरू हो गई थी, लेकिन बुधवार (23 अगस्त) की शाम जैसे घड़ी की सुइयों ने 5.30 बजाए, हर किसी की आंख सॉफ्ट लैंडिंग के घटनाक्रम पर टिक गई। अत्यधिक रोमांच से भरे इस पल में आम इंसान के दिल भी उतनी जोर से धड़के जितने इसरो वैज्ञानिकों के धड़कते रहे। फिर वो क्षण आया, जब लैंडर विक्रम ने चंद्र सतह को छुआ और सॉफ्ट लैंडिंग पूरी हुई। इसरो ने शाम 6:04 बजे का समय इसके लिए निर्धारित किया था।
अब आगे क्या?
कुछ देर बाद लैंडर विक्रम की बैली से रोवर प्रज्ञान एक पैनल को रैंप के रूप में इस्तेमाल करके चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। रोवर में पहिए और नेविगेशन कैमरे लगे हैं, यह चंद्रमा के परिवेश का इन-सीटू (यथास्थान) विश्लेषण करेगा और जानकारी लैंडर विक्रम के साथ साझा करेगा। लैंडर विक्रम धरती पर वैज्ञानिकों से सीधे कम्युनिकेट करेगा, इस प्रकार चंद्रमा के बारे में अमूल्य जानकारी पृथ्वी पर हम तक आ सकेगी।
धरती से चांद तक का सफर
- 14 जुलाई: एलवीएम-3 एम-4 व्हीकल के माध्यम से चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक कक्षा में पहुंचाया गया। चंद्रयान-3 ने नियत कक्षा में अपनी यात्रा शुरू की।
- 15 जुलाई: आईएसटीआरएसी/इसरो, बेंगलुरु से कक्षा बढ़ाने की पहली प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गई। यान 41762 किलोमीटर x 173 किलोमीटर कक्षा में है।
- 17 जुलाई: दूसरी कक्षा में प्रवेश की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। चंद्रयान-3 ने 41603 किलोमीटर x 226 किलोमीटर कक्षा में प्रवेश किया।
- 22 जुलाई: अन्य कक्षा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हुई।
- 25 जुलाई: इसरो ने एक बार फिर एक कक्षा से अन्य कक्षा में जाने की प्रक्रिया पूरी की। चंद्रयान-3 71351 किलोमीटर x 233 किलोमीटर की कक्षा में।
- एक अगस्त: इसरो ने ‘ट्रांसलूनर इंजेक्शन’ (एक तरह का तेज धक्का) को सफलतापूर्वक पूरा किया और अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित किया। इसके साथ यान 288 किलोमीटर x 369328 किलोमीटर की कक्षा में पहुंच गया।
- पांच अगस्त: चंद्रयान-3 की लूनर ऑर्बिट इनसर्शन (चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने की प्रक्रिया) सफलतापूर्वक पूरी हुई। 164 किलोमीटर x 18074 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचा।
- छह अगस्त: इसरो ने दूसरे लूनर बाउंड फेज (एलबीएन) की प्रक्रिया पूरी की, इसके साथ ही यान चंद्रमा के निकट 170 किलोमीटर x 4313 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचा। अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश के दौरान चंद्रयान-3 द्वारा लिया गया चंद्रमा का वीडियो जारी किया।
- नौ अगस्त: चंद्रमा के निकट पहुंचने की एक और प्रक्रिया के पूरा होने के बाद चंद्रयान-3 की कक्षा घटकर 174 किलोमीटर x 1437 किलोमीटर रह गई।
- 14 अगस्त: चंद्रमा के निकट पहुंचने की एक और प्रक्रिया के पूरा होने के बाद चंद्रयान-3 कक्षा का चक्कर लगाने के चरण में पहुंचा। यान 151 किलोमीटर x 179 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचा।
- 16 अगस्त: ‘फायरिंग’ की एक और प्रक्रिया पूरी होने के बाद यान को 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचाया गया। यान में एक रॉकेट होता है, जिससे उपयुक्त समय आने पर यान को चंद्रमा के और करीब पहुंचाने के लिए विशेष ‘फायरिंग’ की जाती है।
- 17 अगस्त: लैंडर मॉडयूल को प्रणोदन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग किया गया।
- 19 अगस्त : इसरो ने अपनी कक्षा को घटाने के लिए लैंडर मॉड्यूल की डी-बूस्टिंग की प्रक्रिया की। लैंडर मॉड्यूल अब चंद्रमा के निकट 113 किलोमीटर x 157 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचा।
- 20 अगस्त: लैंडर मॉड्यूल पर एक और डी-बूस्टिंग यानी कक्षा घटाने की प्रक्रिया पूरी की गई। लैंडर मॉड्यूल 25 किलोमीटर x 134 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचा।
- 21 अगस्त: चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने औपचारिक रूप से चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल का ‘वेलकम बडी’ (स्वागत दोस्त) कहकर स्वागत किया। दोनों के बीच दो तरफा संचार कायम हुआ। ‘इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क’ (आईएसटीआरएसी) स्थित मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (एमओएक्स) को अब लैंडर मॉड्यूल से संपर्क के और तरीके मिले।
- 22 अगस्त: इसरो ने चंद्रयान-3 के लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (एलपीडीसी) से करीब 70 किलोमीटर की ऊंचाई से ली गई चंद्रमा की तस्वीरें जारी कीं।
- 23 अगस्त: शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल विक्रम की सॉफ्ट लैंडिग कराई गई।
Comments
Add Comment