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MP : टाइगर स्टेट का तमगा बरकरार, 4 साल में बढ़े 259 टाइगर

—मैनेजमेंट में सतपुड़ा और कान्हा नेशनल पार्क टॉप-5 में

भोपाल. मध्य प्रदेश का टाइगर स्टेट का दबदबा बरकरार है। प्रदेश को लगातार दूसरी बार टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है। 2022 की गणना में मध्यप्रदेश में 785 बाघ मिले हैं। हालांकि, पिछली गणना 2018 में हुई थी। उस समय मध्यप्रेदश में टाइगर की संख्या 526 थी। इसमें अब 259 टाइगर और बढ़ गए हैं। यही नहीं गणना में मप्र के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और कान्हा नेशनल पार्क ने मैनेजमेंट इफेक्टिवनेस इवैल्यूशन में देश के टॉप—5 टाइगर रिजर्व में स्थान बनाने में सफल रहे हैं। इंटरनेशनल टाइगर डे पर 29 जुलाई को यह रिपोर्ट जारी की गई। हालांकि, मध्य प्रदेश तीसरी बार टाइगर स्टेट बना है। सबसे पहले 2006 में टाइगर स्टेट बना था।

बांधवगढ़ में सबसे ज्यादा 165 टाइगर

प्रदेश में लगातार पेड़ों की कटाई से वन बाघों के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। पिछले 5 साल में मप्र में रोजाना औसतन 10 हेक्टेयर जंगल खत्म हो रहा है। यह जानकारी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने 28 जुलाई को कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा के सवाल पर लोकसभा में दी। मंत्री के मुताबिक, देश में सबसे ज्यादा जंगल एमपी में खत्म हो रहे हैं। 2018 से 2023 के बीच एमपी में 19,270 हेक्टेयर जंगल खत्म हुआ।

मुख्यमंत्री, मंत्रियों ने जताई खुशी 

मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का तमगा बरकरार रहने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित अन्य मंत्रियों ने खुशी जताते हुए बुधाई दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मप्र सर्वांगीण विकास के लिए जाना जाता है। आज प्रसन्नता का विषय है कि एक बार फिर मप्र को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है।

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