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एमपी की बड़ी छलांग, सबसे तेजी से कम हुए गरीब 

—नीति आयोग की रिपोर्ट में खुसासा, गरीबों की संख्या में 15.94 फीसदी की कमी 

भोपाल. देश में गरीबी हटाओ को लेकर भले की बड़ी बातें कही जाती रही हों, लेकिन इस मामले में मध्यप्रदेश ने बड़ी छलांग लगाई है। मप्र में 2015-16 से 2019-21 के बीच 1 करोड़ 36 लाख लोग गरीबी यानी बीपीएल के चक्र से बाहर आ गए हैं। प्रदेश में गरीबी की तीव्रता 47.25 फीसदी से घटकर 43.70 फीसदी रह गई है। देश से गरीबी का बोझ कम करने में मध्य प्रदेश ने 10 फीसदी का उल्लेखनीय योगदान दिया है।

दरअसल, मप्र में 5 वर्षों की अवधि में गरीबों की संख्या में 15.94 फीसदी की गिरावट आई है। वर्ष 2015-16 में 36.57 फीसदी से घटकर यह 2019-21 में 20.63 फीसदी रह गई है। सभी राज्यों में मप्र में सबसे तेजी से कमी देखी गई है।

इस जिले में सबसे कम बचे गरीब

गरीबों की संख्या में कमी के मामले में सबसे उल्लेखनीय सुधार अलीराजपुर, बड़वानी, खंडवा, बालाघाट, और टीकमगढ़ में हुआ है। बहुआयामी गरीबी सूचकांक-2023 पर नीति आयोग की दूसरी रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है।

नीति आयोग 8 अगस्त को कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में बहुआयामी गरीबी पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। इस अवसर पर मप्र में 1 करोड़ 36 लाख लोगों को गरीबी से मुक्त करने की यात्रा पर पॉलिसी ब्रीफ जारी की जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य वक्तव्य देंगे। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। 

नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन के बेरी और सदस्य डॉ. वीके सारस्वत मध्यप्रदेश की उपलब्ध‍ियों और विकास यात्रा पर चर्चा करेंगे। राज्य नीति एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. सचिन चतुर्वेदी, प्रधानमंत्री सलाहकार परिषद के सदस्य प्रोफेसर शमिका रवि, मप्र राज्य सांख्य‍िकी आयोग के अध्यक्ष प्रवीण श्रीवास्तव, यूएन रेसीडेंट कोआर्ड‍िनेटर शोम्बी शार्प विशेष वक्तव्य देंगे। नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. योगेश सूरी बहुआयामी गरीबी संकेतकों पर प्रारंभिक वक्तव्य देंगे।

क्या है बहुआयामी गरीबी?

गरीबी का आकलन करने के वर्तमान मापदंडों के अनुसार गरीबी को केवल पैसे की कमी से नही आँका जाता। स्वास्थ्य, पोषण, साफ पानी, बिजली, जीवन की गुणवत्ता, स्कूली शिक्षा, स्वच्छ्ता, शिशु मृत्यु, मातृत्व मृत्यु, आवास, बैंक खाता, परिसम्पत्तियां, भोजन के लिए ईंधन आदि से वंचित रहने को भी गरीबी का कारण माना जाता है।

मध्यप्रदेश में 1.36 करोड़ लोगों का गरीबी रेखा ऊपर आने का मतलब है स्वास्थ्य, पोषण, साफ पानी, बिजली, जीवन की गुणवत्ता, स्कूली शिक्षा, स्वच्छ्ता एवं अन्य मापदण्डों की स्थिति में ज़बरदस्त सुधार हुआ है। यह संख्या सिंगापुर और लीबिया जैसे देशों की कुल आबादी के दोगुने से भी ज़्यादा है।

अखिल भारतीय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (2015-16) में अलीराजपुर में गरीबों की संख्या 71.31 प्रतिशत थी जो एनएचएचएस-5 (2019-21) में घटकर 40.25 फीसदी रह गई। इस प्रकार 31.5 प्रतिशत सुधार हुआ है। बड़वानी में 61.60 प्रतिशत से कम होकर 33.52 प्रतिशत रह गई है। इस प्रकार 28.08 फीसदी का सुधार हुआ है। खंडवा में गरीबी का प्रतिशत 42.53 से कम होकर 15.15 फीसदी पर आ गया है। इस प्रकार 27.38 प्रतिशत सुधार हुआ है। बालाघाट में 26.48 प्रतिशत और टीकमगढ़ में 26.33 प्रतिशत सुधार हुआ है।

देश में गरीबी में भारी कमी देखी गई है। पाँच सालों में गरीबी से बाहर आने वाले लगभग 135 मिलियन लोग हैं। वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक-2023 में यह् बात साफ हो गयी है कि देश में 15 वर्षों के भीतर 415 मिलियन लोग गरीबी से मुक्ति पा चुके हैं। 

स्पष्ट है कि जीवन स्तर की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर की गुणवत्ता की कमी का भी आकलन् किया गया है। इसके 12 मापदंड हैं। इसमें अखिल भारतीय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आँकड़ों का भी उपयोग किया गया है। 

इन आंकड़ों को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के समन्वय से अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान द्वारा जारी किया जाता है। बहुआयामी ग़रीबी सूचकांक 2023 की रिपोर्ट एनएफएचएस 4 (2015-16) और एनएफएचएस 5 (2019-21) के बीच गरीबी में आए बदलाव को दिखाती है।

सतत विकास के लक्ष्यों में 2030 तक गरीबी को कम से कम आधा करना शामिल है। देश इस लक्ष्य को समय से पहले प्राप्त करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। मध्यप्रदेश में जिस तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं और गरीबी पैदा करने वाली स्थितियों पर नियंत्रण पाया जा रहा है उससे गरीबी को समाप्त करने का लक्ष्य प्राप्त करने की पूरी संभावनाएँ बन रही हैं।

ग्रामीण, शहरी क्षेत्रों में गरीबी में कमी

मध्यप्रदेश की ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों की आबादी में 20.58 फीसदी की गिरावट आई है। एनएफएचएस 4 (2015-16) में यह 45.9 फीसदी थी, जो एनएफएचएस-5 (2019-21) में कम होकर 25.32 फीसदी तक आ गई है। गरीबी की तीव्रता भी 3.75 फीसदी (47.57 फीसदी से 43.82 फीसदी) तक कम हो गई है और गरीबी सूचकांक 0.218 घटकर 0.111 लगभग आधा हो गया है।

शहरी गरीब आबादी में 6.62 फीसदी की गिरावट आई है। एनएफएचएस 4 (2015-16) में यह 13.72 फीसदी थी जो एनएफएचएस-5 (2019-21) में कम होकर 7.1 फीसदी तक आ गई है। शहरी गरीबी की तीव्रता 2.11 फीसदी (44.62 फीसदी से 42.51 फीसदी) तक कम हो गई है।

हर क्षेत्र में विकास से गरीबी में आई कमी

स्वच्छता में सबसे उल्लेखनीय सुधार हुआ है। स्वच्छता से वंचित लोगों में 19.81 फीसदी प्रतिशत की कमी आई है। खाना पकाने के ईंधन से वंचित लोगों के अभाव में 16.28 फीसदी की कमी, आवास से वंचित रहने वालों की संख्या में 15.12 फीसदी, पोषण अभाव में रहने वालों की संख्या में 13.6 फीसदी की कमी आई है। मातृ स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित लोगों की संख्या में 9.54 फीसदी की कमी, पेयजल अभाव में 8.84 फीसदी की कमी और आई है।

स्कूली शिक्षा के अभाव के वर्षों में 6.06 फीसदी की कमी देखी गई है। बैंक खाते जैसी वित्तीय सुविधा से वंचित लोगों में 5.98 फीसदी की कमी आई है। संपत्ति के अभाव में 5.68 फीसदी की गिरावट आई है। भरपूर बिजली मिलने से बिजली की कमी नहीं रही, इसलिए बिजली की सुविधा से वंचित रहने वालों की संख्या में 5.6 फीसदी की गिरावट आई है। स्कूल उपस्थिति में 2.48 फीसदी की वृद्धि एवं बाल और वयस्क मृत्यु दर में 1.26 फीसदी की गिरावट देखी गई है।

अलीराजपुर जिले में गरीबों का अनुपात सबसे अधिक 31.06 प्रतिशत कम हुआ है, जो 71.31 प्रतिशत से 40.25 प्रतिशत हो गया है। बड़वानी में 28.08 प्रतिशत कम हुआ, खंडवा में 27.38 प्रतिशत, बालाघाट में 26.47 प्रतिशत, टीकमगढ़ में 26.33 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है। 

बहुआयामी गरीब आबादी का अनुपात झाबुआ में 68.66 फीसदी से गिरकर वर्तमान में 49.62 फीसदी है, जो जिले के मल्टी डायमेंशनल पावर्टी से बचने वाली 19.24 फीसदी आबादी को दर्शाता है। भोपाल जिले में यह अनुपात 12.66 फीसदी से घटकर 6.75 फीसदी, इंदौर में 10.76 फीसदी से 4.93 फीसदी घटकर 5.83 फीसदी और जबलपुर में 19.5 फीसदी से 14.78 फीसदी हो गया है।

गरीबी की गहनता में कमी

अलीराजपुर जिले में गरीबी की गहनता में 9.29 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है जो 57.06 फीसदी से घटकर 47.77 फीसदी हो गई है। बड़वानी जिले में 7.53 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है जो 61.6 फीसदी से घटकर 49.74 फीसदी हुई, झाबुआ में 7.05 फीसदी घटी, धार में 49.34 फीसदी से 7.04 फीसदी घटकर 42.3 फीसदी हो गई, जबलपुर में 45.39 फीसदी से 6.71 फीसदी गिरकर 38.68 फीसदी और सीहोर जिले में 46.5 फीसदी से 6.38 फीसदी घटकर 40.12 फीसदी देखी गई है।

बहुआयामी गरीबी सूचकांक अलीराजपुर जिले में 0.407 से घटकर 0.192 हो गया है। यह 0.215 की गिरावट आधे से अधिक की कमी दिखाता है। इसके बाद बड़वानी जिले में 0.353 से घटकर 0.167, झाबुआ जिले में 0.385 से घटकर 0.243, खंडवा में 0.202 से घटकर 0.067, 0.135 की कमी आई है।

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