
नई दिल्ली। बेंगलुरु और सैन फ्रांसिस्को स्थित एजेंटिक सेवा प्रबंधन स्टार्टअप एटॉमिक वर्क में कार्यरत खुद को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) शोधकर्ता बताने वाले एक्स उपयोगकर्ता आर्ची सेनगुप्ता ने भारत की व्यवस्था में गहरी जड़ें जमाए भ्रष्टाचार को उजागर करके सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया है, जिसके बारे में उनका दावा है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!रविवार को एक पोस्ट में आर्ची ने एक चौंकाने वाला वृत्तांत साझा किया कि कैसे मलेशिया के कुआलालंपुर में रहने वाले एक पाकिस्तानी नागरिक ने भ्रष्ट एजेंटों को रिश्वत देकर भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। उसके दोस्त की गवाही के अनुसार, उस व्यक्ति ने “बिना किसी बड़ी परेशानी के” बस “लालची एजेंटों पर पैसे फेंककर” पासपोर्ट हासिल कर लिया।
एक पाकिस्तानी नागरिक को भारतीय पासपोर्ट कैसे मिला
आर्ची ने बताया कि एक होटल में चेक-इन करते समय रिसेप्शनिस्ट ने उसके दोस्त से उसकी राष्ट्रीयता के बारे में पूछा। जब उसके दोस्त ने बताया कि वह भारत से है, तो रिसेप्शनिस्ट—जिसका उच्चारण बहुत ही स्पष्ट था—बाद में पता चला कि वह पेशावर पाकिस्तान से है। पहचान मिलने पर वह आदमी हंसा और बोला, “हाहा, बढ़िया बात है। असल में मैं पेशावर पाकिस्तान से हूं।”
फिर उसने खुलेआम भारतीय पासपोर्ट होने की बात स्वीकार की और बताया कि चूंकि मलेशिया (और अन्य देश) पाकिस्तानी नागरिकों को वीज़ा-ऑन-अराइवल नहीं देते, और चूंकि पासपोर्ट के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देना वैध पाकिस्तानी वीज़ा हासिल करने से सस्ता था, इसलिए उसने धोखाधड़ी का रास्ता चुना।
जब उससे और पूछताछ की गई, तो उस आदमी ने खुलासा किया, मैं हैदराबाद भारत गया और वहां एक महीने तक रहा। मैंने एजेंटों को 3 लाख रुपए दिए, जिन्होंने मेरे लिए विदेश में नौकरी और भारतीय पासपोर्ट का इंतज़ाम किया। एक महीने के अंदर ही पासपोर्ट मिल गया।”
आर्ची ने व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हुए कहा कि जहां उसे अपना पासपोर्ट पाने के लिए दो महीने इंतज़ार करना पड़ा, वहीं इस आदमी ने नकली नाम, नकली पते और नकली दस्तावेज़ों के साथ—सिर्फ़ 30 दिनों में ही पासपोर्ट हासिल कर लिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा में एक बड़ी चूक
इसे एक गंभीर ख़ुफ़िया और सुरक्षा चूक बताते हुए आर्ची ने चेतावनी दी कि हो सकता है कि आपके बगल में बैठा व्यक्ति भारतीय ही न हो, बल्कि पाकिस्तानी या बांग्लादेशी हो। उनकी पोस्ट तेज़ी से वायरल हो गई और कई यूज़र्स ने व्यवस्थागत भ्रष्टाचार के अपने अनुभव साझा किए।
तीखी प्रतिक्रियाएं— हमारी व्यवस्था चरमरा गई
कृतार्थ मित्तल ने टिप्पणी की, “कुछ साल पहले ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय एक दलाल ने बिना किसी परीक्षण के इसे जल्दी पूरा करने की पेशकश की। उसने शेखी बघारी, ‘अरे भैया, मैं सबको जानता हूं,’ और दावा किया कि वह किसी का भी लाइसेंस बनवा सकता है, भले ही उसके पास ‘एक पैर भी न हो।’आपको अपने आसपास की हर चीज़ पर सवाल उठाने पर मजबूर कर देता है। कुछ साल पहले मैं ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर रहा था, तभी एक दलाल ने मुझसे पूछा कि क्या मैं बिना किसी वास्तविक परीक्षण के प्रक्रिया को जल्दी पूरा करना चाहूंगा। उसने मुझे लगभग यह समझा दिया कि आधिकारिक रास्ता अपनाना समय की बर्बादी है और…।
एक अन्य उपयोगकर्ता ने लिखा, यह ठीक उसी तरह है, जैसे लाखों बांग्लादेशी सीमा पार करते हैं, आधार कार्ड बनवाते हैं और भारतीय शहरों में बस जाते हैं और अपना जीवन संवारना शुरू कर देते हैं!
एक चिंतित नेटिजन ने टिप्पणी की, अगर भारत में उच्चतम स्तर के दस्तावेज़ प्राप्त करना इतना आसान है, तो हम अवैध प्रवास की राजधानी बनने की ओर बढ़ रहे हैं। एक उपयोगकर्ता ने आगे कहा, यह भयावह है। जिस आत्मविश्वास से उस व्यक्ति ने बात की, उससे साबित होता है कि यह एक आम बात है।