
भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सिंगरौली में दुर्लभ अर्थ मेटल के प्रचुर भंडार की खोज के बाद भारत अब दुर्लभ मृदा तत्वों के लिए चीन जैसे देशों पर निर्भर नहीं रहेगा। केंद्रीय कोयला एवं खनन मंत्री जी किशन रेड्डी ने संसद को बताया कि देश में पहली बार दुर्लभ मृदा तत्वों का इतना विशाल भंडार मिला है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!यह खोज भारत को हरित ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मील का पत्थर साबित होगी। दुर्लभ मृदा तत्वों को आधुनिक तकनीक का आधार माना जाता है। कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा किए गए एक अध्ययन में सिंगरौली की कोयला खदानों और चट्टानों में स्कैंडियम, यिट्रियम आदि जैसे दुर्लभ मृदा तत्वों की आशाजनक सांद्रता पाई गई है।
कोयले में इसकी औसत सांद्रता 250 भाग प्रति मिलियन (पीपीएम) और गैर-कोयला स्तर में लगभग 400 पीपीएम अनुमानित है। इस अध्ययन की आधिकारिक घोषणा जुलाई 2025 में की गई थी। राज्य सरकार अब इनके प्रसंस्करण, अनुसंधान और दोहन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा विकसित करने पर काम कर रही है। दुर्लभ मृदा तत्वों का उपयोग उन्नत रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, पेट्रोलियम उद्योग, ऑटोमोबाइल क्षेत्र, स्वास्थ्य सेवा आदि में किया जाता है।
2030 तक 26,000 गांवों में डेयरी नेटवर्क
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि 2030 तक डेयरी नेटवर्क का विस्तार 26,000 गांवों तक किया जाएगा। इससे 52 लाख किलोग्राम दूध संग्रहण में मदद मिलेगी। एकत्रित दूध का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक दुग्ध प्रसंस्करण संरचनाएं विकसित की जानी चाहिए।
वे मंगलवार को मंत्रालय में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और दुग्ध संघ से संबंधित गतिविधियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर दुग्ध उत्पादों की ब्रांडिंग सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने भारतीय पशु चिकित्सा परिषद के सहयोग से सभी विश्वविद्यालयों में पशु चिकित्सा पाठ्यक्रम चलाने का भी निर्देश दिया।