
—आप, कांग्रेस और अकाली दल ने किया पलटवार
चंडीगढ़। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा सिंधु नदी के पानी को जम्मू-कश्मीर में प्रवाहित करने का विरोध करने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने पड़ोसी राज्य को याद दिलाया कि उसने जम्मू-कश्मीर के साथ वर्षों तक कैसा “दुर्व्यवहार” किया है।
पंजाब में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल सहित राजनीतिक दलों ने पलटवार करते हुए कहा है कि सिंधु नदी संधि को स्थगित रखने वाली केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पानी का उचित वितरण करे और पंजाब को उसका उचित हिस्सा दे।
उमर अब्दुल्ला के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कि जम्मू-कश्मीर सिंधु नदी का पानी पंजाब को नहीं देगा, आप पंजाब के प्रवक्ता नील गर्ग ने उन पर जानबूझकर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। गर्ग ने कहा कि नदी के पानी पर निर्णय लेने का अधिकार केंद्र के पास है और उमर अब्दुल्ला इस मामले पर एकतरफा निर्णय नहीं ले सकते। उन्होंने जोर देकर कहा कि पंजाब को भी सिंधु नदी के पानी का हिस्सा मिलना चाहिए।
गर्ग ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की तरह पंजाब भी सीमावर्ती राज्य है। जब भी युद्ध होता है, पंजाब युद्ध का मैदान बन जाता है और जब देश को खाद्यान्न की जरूरत होती है, तो यह देश का अन्न भंडार बन जाता है। अब जब पानी उपलब्ध है, तो पंजाब का इस पर वैध दावा है। उन्होंने कहा, “देश के अन्न भंडार भरने की प्रक्रिया में हम अपने ही पानी से वंचित हो गए हैं। अब जब सिंधु जल संधि रद्द हो गई है, तो इस पानी पर पंजाब का प्राथमिक अधिकार है, क्योंकि इससे न केवल हमारी बंजर जमीनों को राहत मिलेगी, बल्कि हमारी कृषि को भी बढ़ावा मिलेगा। जब किसान समृद्ध होंगे, तो देश समृद्ध होगा।”
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने भी उमर की आलोचना करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के सीएम को इस तरह की टिप्पणी करना शोभा नहीं देता। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि उमर अब इस मुद्दे का राजनीतिकरण करके कुछ लाभ कमाने की कोशिश कर रहे हैं। “आप पानी कहां भेजेंगे और नहरों को कहां मोड़ेंगे?” उन्होंने कहा कि पंजाब नहरों के लिए प्राकृतिक जल प्रवाह मार्ग होगा। उन्होंने कहा कि यह बयान पक्षपातपूर्ण राजनीतिक बयानबाजी की तरह है।
शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने भी उमर के इस बयान पर आश्चर्य व्यक्त किया कि सिंधु प्रणाली पर जम्मू-कश्मीर का पूरा जल अधिकार है और केंद्र से सिंधु बेसिन के जल वितरण का फैसला करते समय तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा पंजाब के साथ किए गए अन्याय को दूर करने का आग्रह किया।
पूर्व कैबिनेट मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने नदी के पानी का एक बड़ा हिस्सा गैर-तटीय राज्य राजस्थान को देकर पंजाब के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया था। उन्होंने कहा, “हर बार पंजाब को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है। पंजाब से नदी का पानी छीन लिया जाता है।”
चीमा ने कहा कि उमर अब्दुल्ला जो मांग कर रहे हैं, वह पंजाब के साथ अन्याय करने का एक और प्रयास है। उन्होंने कहा कि देश के खाद्यान्न भंडार को भरने के साथ-साथ पंजाब ने अपना भूजल खो दिया है जो खतरनाक स्तर तक गिर गया है। उन्होंने कहा कि नदियों में पानी की मात्रा भी काफी कम हो गई है। उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों ने देश की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने कंधों पर भारी कर्ज ले लिया है।
सिंधु नदी संधि को स्थगित रखने के केंद्र के ऐलान का स्वागत करते हुए चीमा ने कहा कि इस फैसले से केंद्र को पंजाब के साथ हुए अन्याय को दूर करने का ऐतिहासिक अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि राज्य को सिंधु जल प्रणाली से अतिरिक्त पानी देकर इसकी भरपाई की जानी चाहिए। चीमा ने उमर अब्दुल्ला से भी आग्रह किया कि वे इस तरह के बयान जारी करने से पहले पंजाब और देश के अन्य राज्यों के किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखें। उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र अब्दुल्ला की मांग पर ध्यान नहीं देगा।