
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार (19 जून, 2025) को कहा है कि भारत में अंग्रेजी बोलने वालों को जल्द ही शर्म आएगी और ऐसे समाज का निर्माण दूर नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं के बिना हम वास्तव में भारतीय नहीं रह सकते।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!शाह को पूर्व आईएएस अधिकारी आशुतोष अग्निहोत्री की एक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर ये टिप्पणियां करते हुए सुना गया। वीडियो में शाह को यह कहते हुए सुना गया, इस देश में अंग्रेजी बोलने वालों को जल्द ही शर्म आएगी, ऐसे समाज का निर्माण दूर नहीं है। मेरा मानना है कि हमारे देश की भाषाएं हमारी संस्कृति के रत्न हैं। अपनी भाषाओं के बिना हम सच्चे भारतीय नहीं रह सकते।
अपनी भाषाओं में भारत चलाएंगे
शाह ने कहा कि हमारी संस्कृति, हमारा इतिहास और हमारा धर्म विदेशी भाषाओं में नहीं समझा जा सकता। उन्होंने कहा, आत्मसम्मान के साथ हम अपने देश को अपनी भाषाओं में चलाएंगे और दुनिया का नेतृत्व भी करेंगे।
अमृत काल के लिए पीएम मोदी द्वारा परिकल्पित ‘पंच प्रण’ (पांच प्रतिज्ञाएं) का आह्वान करते हुए शाह ने कहा कि यह अब 130 करोड़ लोगों का संकल्प बन गया है। 2022 में स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान जब भारत अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा था, पीएम मोदी ने पांच प्रतिज्ञाएं बताईं एक विकसित भारत का संकल्प, औपनिवेशिक मानसिकता के किसी भी निशान को मिटाना, अपनी विरासत पर गर्व करना, अपनी एकता की ताकत और नागरिकों के कर्तव्यों को ईमानदारी से पूरा करना।
इस महीने की शुरुआत में शाह ने भारतीय भाषा अनुभाग (बीबीए) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य सभी भारतीय भाषाओं को विदेशी भाषाओं के प्रभाव से प्रशासन को मुक्त करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक संगठित मंच प्रदान करना है।
शाह की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कई राज्य सरकारों और क्षेत्रीय दलों ने केंद्र पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन-भाषा सूत्र के माध्यम से हिंदी थोपने का आरोप लगाया है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा कक्षा 1 से 5 तक के लिए तीन-भाषा सूत्र अपनाने के निर्णय की भी मराठी समूहों ने आलोचना की है।
तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी थोपने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं। तमिलनाडु सरकार ने राष्ट्रीय शैक्षिक नीति (एनईपी) में तीन-भाषा सूत्र का विरोध करते हुए दावा किया कि यह केवल पिछले दरवाजे से राज्य में हिंदी लाने के लिए है। हालांकि, केंद्र सरकार ने बार-बार इन दावों का खंडन किया है और कहा है कि वह सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए उत्सुक है। बजट सत्र के दौरान शाह ने राज्यसभा को बताया कि उनका मंत्रालय राज्यों के साथ उनकी भाषाओं में संवाद करेगा।