
नई दिल्ली। भारत ने 24 जुलाई को लंदन में दोनों देशों के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत ब्रिटेन से आयातित व्हिस्की और जिन पर शुल्क 150% से घटाकर 75% कर दिया है। व्यापार समझौते के अनुसार, समझौते के दसवें वर्ष में शुल्क को और घटाकर 40% कर दिया जाएगा।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!रिपोर्ट के अनुसार, आयात शुल्क में 50% की कमी के बावजूद भारत में प्रीमियम ब्रांडों की अंतिम कीमतों पर इसका प्रभाव कम ही रहने की संभावना है। शराब उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि आयातित स्कॉच व्हिस्की की उपभोक्ता कीमतों में ज़्यादा बदलाव की संभावना नहीं है। शराब पर ज़्यादातर कर राज्यों के अधीन हैं और अगर सीमा शुल्क में पूरी कटौती लागू भी कर दी जाए, तो भी आयातित स्कॉच व्हिस्की की उपभोक्ता कीमतों पर 100-300 रुपए प्रति बोतल का असर पड़ेगा।
भारत-यूके एफटीए पर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और उनके ब्रिटिश समकक्ष जोनाथन रेनॉल्ड्स ने तीन साल से ज़्यादा चली बातचीत के बाद हस्ताक्षर किए। इस समझौते से लंबी अवधि में द्विपक्षीय व्यापार में 35 अरब डॉलर की वृद्धि होने की उम्मीद है।
शुल्क में यह कमी बोतलबंद-इन-ओरिजिन (BIO), थोक आयात, जिनका उपयोग बोतलबंद-इन-इंडिया (BII) और भारत में निर्मित विदेशी शराब (IMFL) बनाने के लिए किया जाता है, दोनों पर लागू होगी। हालांकि, इस कदम से दुनिया के सबसे बड़े शराब बाजार पर नज़र रखने वाले निर्माताओं को लाभ होने का अनुमान लगाया गया है, लेकिन रिपोर्ट में उद्धृत विशेषज्ञ का दावा है कि इस कदम का बहुत कम प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि शराब राज्य का विषय है और राज्य सरकारों के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसलिए, राज्यों द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम उपभोक्ता पर प्रभाव को परिभाषित करेगा।
इसके अतिरिक्त उनका मानना है कि चूंकि व्हिस्की खंड में पेशकश मूल्य सीमा के मामले में बहुत व्यापक है, इसलिए इस कदम से इन ब्रांडों को कोई नया उपभोक्ता मिलने की संभावना नहीं है। दूसरी ओर इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ISWAI) ने मादक पेय क्षेत्र के लिए व्यापार समझौते पर आशावादी रुख अपनाया। ISWAI भारत में प्रीमियम मादक पेय कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है।